नासिर हुसैन, रॉबर्ट की और माइकल वॉन ने इंग्लैंड को घेरा, जानें-सिराज की सफलता के पीछे किसका हाथ

भारत के खिलाफ जारी पांच मैच की टेस्ट सीरीज में हो रही इंग्लैंड की दुर्गति से हर कोई हैरान है। इंग्लैंड अपने घर की परिस्थितियों का फायदा भी नहीं उठा पा रहा है। हालांकि उसके कई नियमित खिलाड़ी चोट या किसी ओर वजह से टीम से बाहर हैं, लेकिन इसके बावजूद ऐसा निम्न स्तरीय प्रदर्शन अपेक्षित नहीं है।

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन और बल्लेबाज रॉबर्ट की ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की विफलता के लिए काउंटी चैंपियनशिप के खराब स्तर को जिम्मेदार ठहराया है। हुसैन और की ने लाल गेंद वाले क्रिकेट के फॉर्मेट की अनदेखी के लिए इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) को दोष दिया है। हुसैन ने द हंड्रेड टूर्नामेंट पर सवाल उठाते हुए कहा कि साल के इस समय में इतनी सफेद गेंद वाले क्रिकेट होने से टेस्ट क्रिकेट को हर तरह से नुकसान पहुंचा है। न्यूजीलैंड और भारत ही लाल गेंद वाले बल्लेबाज पैदा कर रहे हैं।


वॉन ने की रूट की इस रणनीति की आलोचना

लॉर्ड्स टेस्ट के अंतिम दिन मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह के बीच नौवें विकेट के लिए 89 रन की साझेदारी ने नतीजा भारत के पक्ष में करने में अहम रोल प्ले किया। साझेदारी तोड़ने के लिए छींटाकशी और बाउंसर का प्रयोग किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन का मानना है कि उन्होंने इंग्लैंड टीम की आज तक जितनी रणनीतियां देखी हैं उनमें ये सबसे खराब थी।

वॉन ने कहा कि इंग्लैंड के कोच क्रिस सिल्वरवुड को किसी को मैदान पर भेजना चाहिए था और कप्तान जो रूट से कहलवाना चाहिए था कि वे रणनीति बदलें। अगर डंकन फ्लेचर कोच होते तो वे रणनीति बदलने को कहते। कोच को पांचवें दिन जो हुआ उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अब सिल्वरवुड को साबित करना चाहिए कि वे सीरीज में इंग्लैंड की वापसी करा सकते हैं।


बॉलिंग कोच भरत अरुण ने सिराज को निखारा : शिवरामाकृष्णन

भारत के पूर्व लेग स्पिनर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन का मानना है कि मोहम्मद सिराज की इंटरनेशनल क्रिकेट में जबरदस्त कामयाबी के पीछे बॉलिंग कोच भरत अरुण का बड़ा हाथ रहा है। खुद सिराज ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं। शिवरामाकृष्णन ने कहा कि जब अरुण हैदराबाद के एक साल या उसे ज्यादा समय के लिए कोच थे तो उन्होंने सिराज के टैलेंट को पहचाना था। और इसके लिए सिराज को क्रेडिट देना होगा कि उनके अंदर सीखने की भूख और चाह थी। सिराज ने अरुण को अपना गुरु माना और वैसा करते गए जैसा वे चाहते थे। अरुण ने इसके बाद सिराज को शास्त्री को सौंप दिया। उल्लेखनीय है कि सिराज इस साल ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया और फिर लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ जीत के हीरो रहे।