
भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला अब बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर खेला जाना है। लेकिन यह मैदान टीम इंडिया के लिए अब तक किसी अभिशाप से कम नहीं रहा है। 1967 से अब तक भारत इस मैदान पर एक भी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया है। अब जबकि शुभमन गिल की अगुवाई में भारत दूसरा टेस्ट खेलने उतर रहा है, नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या 58 साल का यह सूखा खत्म हो पाएगा।
भारत का एजबेस्टन में टेस्ट रिकॉर्ड: हार का सिलसिला जारीभारत ने अब तक एजबेस्टन मैदान पर कुल आठ टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से सात में उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि केवल एक मुकाबला ड्रॉ रहा—वह भी 1986 में। 21वीं सदी में खेले गए तीन मुकाबले (2011, 2018, 2022) भी भारत के लिए खराब रहे, और हर बार उसे शिकस्त झेलनी पड़ी। 2011 में भारत को पारी और 242 रन से करारी हार मिली थी, जबकि 2018 और 2022 में उसे क्रमशः 31 रन और 7 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। यह मैदान भारत के लिए अब तक पारी के अंतर से तीन बार हार दिला चुका है।
तेज गेंदबाजों का दबदबा, लेकिन भारत का पेस अटैक कमजोरएजबेस्टन के पिच की बात करें तो यह हमेशा से तेज गेंदबाजों के लिए मददगार रहा है। यहां अब तक गिरे कुल 1656 विकेटों में से 1185 विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए हैं। यही वजह है कि भारत के लिए यहां पेस अटैक की भूमिका सबसे अहम हो जाती है। लेकिन बुरी खबर यह है कि जसप्रीत बुमराह का दूसरे टेस्ट में खेलना संदिग्ध माना जा रहा है, क्योंकि वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत उन्हें आराम दिया जा सकता है। ऐसे में अर्शदीप सिंह को मौका मिल सकता है, लेकिन उनसे बुमराह जैसी धार की उम्मीद नहीं की जा सकती।
अब जिम्मेदारी मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा पर बढ़ जाएगी। दोनों को नई गेंद से आक्रामक और अनुशासित गेंदबाजी करनी होगी, तभी भारत इस पिच पर मुकाबले में बना रह सकता है।
एजबेस्टन की पिच पर तेज गेंदबाजों का बोलबालाअब तक इस मैदान पर खेले गए टेस्ट मैचों में कुल 1656 विकेट गिरे हैं, जिनमें से 1185 विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए हैं। ऐसे में भारत को जीत हासिल करनी है तो पेस अटैक को मजबूत करना अनिवार्य होगा। मगर जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट चलते दूसरे टेस्ट में खेलना संदिग्ध है। ऐसे में टीम मैनेजमेंट के सामने यह बड़ा सिरदर्द बन चुका है।
गंभीर-गिल की रणनीति: बदलाव जरूरीमुख्य कोच गौतम गंभीर और कप्तान शुभमन गिल के लिए यह एक अग्निपरीक्षा है। भारत की प्लेइंग XI में कुछ अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं। बुमराह की जगह अर्शदीप सिंह को मौका मिलने की संभावना है, जबकि मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आएगी।
स्पिन विभाग में एक ही स्पिनर के साथ उतरने की रणनीति बरकरार रखी जा सकती है, लेकिन बल्लेबाजी क्रम में बदलाव की उम्मीद है। भारत की हार का एक बड़ा कारण लीड्स टेस्ट में निचले क्रम की विफलता रही। पहली पारी में भारत ने 41 रन पर 7 विकेट और दूसरी पारी में 31 रन पर 6 विकेट खो दिए थे।
नीतीश रेड्डी को मिल सकता है मौकाशार्दुल ठाकुर की जगह युवा ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी को मौका दिया जा सकता है, जो निचले क्रम को मजबूती दे सकते हैं और पार्ट-टाइम बॉलिंग विकल्प भी बन सकते हैं।
गंभीर की आक्रामक सोच और गिल की अगुवाई में बदलाव की उम्मीद
गौतम गंभीर की कोचिंग शैली आक्रामक मानी जाती है और वह हर मैच को युद्ध की तरह लेने में विश्वास रखते हैं। अब जबकि भारत को एजबेस्टन जैसे 'अभिशप्त' मैदान पर जीत चाहिए, तो पारंपरिक रणनीतियों से आगे बढ़कर फैसले लेने होंगे। कप्तान शुभमन गिल को यहां फ्रंट से लीड करना होगा—बल्ले से भी और मैदान पर निर्णयों से भी।
क्या भारत तोड़ेगा 58 साल पुराना अभिशाप?एजबेस्टन में अब तक एक भी टेस्ट मैच न जीत पाना भारत के लिए न केवल आंकड़ों की बात है, बल्कि मानसिक अवरोध भी बन चुका है। इस बार गिल-गंभीर की नई जोड़ी के पास मौका है कि वह इस इतिहास को पलट दे। अगर रणनीति सटीक रही, तेज गेंदबाजों ने जिम्मेदारी निभाई और बल्लेबाजों ने संयम दिखाया तो 2025 का यह टेस्ट भारत के लिए यादगार बन सकता है।