रवि शास्त्री : कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मैं कोच बनूं, 2019 WC में 3 विकेटकीपर रखने का नहीं था कोई तुक

पूर्व भारतीय ऑलराउंडर रवि शास्त्री का टी20 विश्व कप के साथ ही बतौर कोच टीम इंडिया के साथ कार्यकाल समाप्त हो गया। शास्त्री के बाद यह जिम्मेदारी पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को सौंपी गई है। शास्त्री के रहते भारत ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। हालांकि इस दौरान भारतीय टीम कोई आईसीसी खिताब नहीं जीत पाई, जिसका मलाल शास्त्री को भी है। 59 साल के शास्त्री अब या तो किसी आईपीएल फ्रेंचाइजी के कोच बनेंगे या फिर से कमेंटेटर की भूमिका निभाते दिखेंगे। इसी बीच शास्त्री ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उनसे जुड़ी एक खास बात का खुलासा किया है।

शास्त्री ने कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मैं कोच पद पर बना रहूं। साथ ही वे भरत अरुण को भी गेंदबाजी कोच नहीं चाहते थे। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मैं एक बड़े विवाद में उलझ गया था और ये सचमुच उन लोगों के चेहरे पर धब्बा था, जो मुझे इस जिम्मेदारी से दूर करना चाहते थे। उन्होंने किसी को चुना और 9 महीने बाद वे उसी आदमी के पास वापस आ गए जिसे उन्होंने बाहर फेंक दिया था। हां वे मुझे भरत को गेंदबाजी कोच भी नहीं देना चाहते थे और आज जब मैं पीछे देखता हूं तो लगता है कि कैसे चीजें बदलीं। वे गेंदबाजी कोच के रूप में जिस शख्स को नहीं चाहते थे, उसकी भूमिका इस रोल में शानदार रही। मैं लोगों पर कोई उंगली नहीं उठा रहा हूं लेकिन कुछ खास लोग थे।

मैं जरूर कहूंगा कि उन्होंने पूरी कोशिश कि मैं टीम इंडिया का हेड कोच ना बनूं लेकिन यही जिंदगी है। बता दें कि शास्त्री को 2017 में टीम इंडिया का हेड कोच बनाया गया था। उससे पहले 2014 से 2015 के वनडे वर्ल्ड कप तक वे टीम के डायरेक्टर थे। वर्ल्ड कप के बाद शास्त्री को हटा दिया गया था। माना जा रहा था कि डंकन फ्लेचर के बाद वे हेड कोच बनेंगे, लेकिन अनिल कुंबले को उन पर वरीयता दी गई। कुंबले के अचानक पद छोड़ने के बाद शास्त्री कोच बने।


2019 के वनडे विश्व कप में शास्त्री इन दो में से एक बल्लेबाज को चाहते थे टीम में

गौरतलब है कि वनडे विश्व कप 2019 में टीम इंडिया ने तीन विकेटकीपरों महेंद्र सिंह धोनी, ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक का चयन किया था। इस बात पर शास्त्री ने अहसमति के साथ आपत्ति भी जताई थी। हालांकि उनकी बात को सबने नजरअंदाज कर दिया था। अब शास्त्री ने कहा कि अंबाति रायुडू और श्रेयस अय्यर के विश्व कप में चयन ना होने पर मेरा कोई हाथ नहीं था। इन दो बल्लेबाजों में से किसी एक को टीम में जगह मिल सकती थी। खासकर तीन विकेटकीपरों में से किसी एक को शामिल ना करके इनमें से किसी एक को मौका दिया जा सकता था।

तीन विकेटकीपर को एक साथ रखने का क्या तर्क था? लेकिन मैंने कभी भी चयनकर्ताओं के काम में हस्तक्षेप नहीं किया सिवाय इसके कि जब मुझसे कोई प्रतिक्रिया मांगी हो। हालांकि इन सबके बावजूद भारत विश्व कप में काफी अच्छा खेला था। उसने अपने नौ में से सात मुकाबलों में जीत हासिल करते हुए लीग में पहला स्थान हासिल किया था। उल्लेखनीय है कि भारत सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार गया था।