यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त नही कर पाई दिल्ली सरकार, अब हर महीने देना होगा 1 करोड़ मुआवजा

यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त कर उसे रीस्टोर करने में देरी और आधा-अधूरा ऐक्शन प्लान दायर करना दिल्ली सरकार को भारी पड़ा। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने आदेश दिया है कि सरकार को अब इसके लिए हर महीने 1 करोड़ रुपये तक का पर्यावरण मुआवजा देना होगा, जो सीपीसीबी के पास जमा होगा। वह भी तब तक जब तक वह पूरा एक्शन प्लान तैयार कर सीपीसीबी के पास उसे जमा नहीं करा देती। उन्होंने दिल्ली के साथ मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को भी यही आदेश दिया है। बेंच ने सीपीसीबी की 5 अप्रैल को दायर रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली समेत इन छह राज्यों को अपने पिछले साल 19 दिसंबर के आदेश के तहत नदियों के रीस्टोरेशन से जुड़ा आधा-अधूरा एक्शन प्लान दायर करने का जिम्मेदार माना।

दरहसल, एनजीटी ने संबंधित आदेश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मामले में एक्शन प्लान दायर करने के लिए आखिरी मौका देते हुए कहा था कि यदि वे 31 जनवरी 2019 तक ऐसा न कर पाए तो, उसके बाद देरी के लिए एनवायरनमेंट कम्पेंसेशन देना होगा। ट्राइब्युनल के आदेश के मुताबिक, जुर्माने की रकम के भुगतान की जिम्मेदारी केंद्र शासित प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी की होगी, जो लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से इसकी वसूली कर सकते हैं। दिल्ली समेत इन सभी राज्यों को उन राज्यों के मुकाबले 50 फीसदी की दर से मुआवजा देने के लिए कहा गया है, जिन्होंने एक्शन प्लान ही दायर नहीं किया। एनजीटी मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के आधार पर देशभर की नदियों को प्रदूषण से बचाने के उपायों पर विचार कर रही है।