ई-सिगरेट - सात राज्यों में बैन, अब राजस्थान की बारी

अगर आप ई-सिगरेट को सुरक्षित मानते हैं तो आप बहुत आप गलती कर रहे है क्योंकि एक नए अध्ययन में पता चला है कि इसमें वही विषाक्त रासायनिक पदार्थ होते हैं जो तम्बाकू के धुएं में पाए जाते हैं। इससे फेफड़ों का जीवाणु रोधी रक्षा तंत्र बाधित होता है। ई-सिगरेट से होने वालें नुकसानों को ध्यान में रखते हुए अब राजस्थान में अब ई-सिगरेट पर बैन लगाने की तैयारी की जा रही है। इससे पहले पंजाब, महाराष्ट्र, बिहार, केरल, कर्नाटक, मिजोरम और उत्तर प्रदेश में ई-सिगरेट पर रोक लगाई जा चुकी है।

आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए

- ई-सिगरेट के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए राज्य सरकार ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता को इस बारे में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
- सरकार के निर्देश पर वीनू गुप्ता ने पांच चिकित्सकों की एक टीम बनाई है।
- यह टीम ई-सिगरेट से स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों पर विशेषज्ञों से बातचीत कर 15 जून को रिपोर्ट देगी।
- इसके बाद प्रदेश में ई-सिगरेट पर रोक लगाने का निर्णय किया जाएगा।
- सरकार ने ई-सिगरेट का कारोबार करने वालों पर अभी से निगरानी रखना शुरू कर दिया है।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि अब तक देश के सात राज्यों में ई-सिगरेट पर रोक लगाई जा चुकी है।

यह है ई-सिगरेट

ई-सिगरेट या इलेक्ट्रानिक सिगरेट को पीवी या पर्सनल वेपोराइजर भी कहते हैं। ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक इनहेलर होता है जो उसमें मौजूद लिक्विड को एक प्रक्रिया के द्वारा भाप में बदल देता है। इससे पीने वाले को सिगरेट का अहसास होता है।

कैसे बनती है ई-सिगरेटः
ई-सिगरेट में 4 भाग होते हैं। कार्ट्रीज, ऐटमाइजर,बैट्री, लिक्विड।

कार्ट्रीजः यह दोनों सिरों से खुला एक प्लास्टिक का छोटा सा पात्र होता है। इसका एक सिरे से लिक्विड को ऐटमाइजर में प्रवाहित होता है, जबकि दूसरे सिरे से स्मोकर के मुंह में वाष्पित लिक्विड प्रवाहित होता है। यह इस सिगरेट का सबसे किनारे वाला हिस्सा होता है।

ऐटमाइजरः इसमें एक क्वायल होती है। जो कार्ट्रीज से आने वाली लिक्विड को हिट करके वाष्पित करने का काम करती है। ऐटमाइजर सिगरेट के बीच में होती है।

बैट्रीः
सिगरेट को पावर प्रदान करने के लिए एक रिचार्जेबल बैट्री का उपयोग करते हैं।

लिक्विडः ई-सिगरेट में वाष्प पैदा करने के लिए जिस लिक्विड का प्रयोग करते हैं उसे ई-लिक्विड या ई-जूस कहते हैं। इस लिक्विड को प्रोपलीन गलाइसोल(PG) या वेजीटेबल ग्लिसरीन (VG) या पॉलीथीलीन ग्लाइसोल 400(PGE-400) को जरूरत अनुसार निकोटीन के साथ तैयार किए गए मिश्रण से बनाया जाता है।