इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में क्यों लग रही है आग? क्या मोबाइल से जुड़ा इसका कोई कनेक्शन!

EV यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग जहां एक तरफ लगातार बढ़ती जा रही है वहीं, दूसरी तरफ EV व्हीकल्स में आग लगने की कई घटनाएं भी सामने आ चुकी है। पिछले कुछ समय से भारत में लगातार EV स्कूटर्स के जलने की खबरे सामने आ रही हैं। परेशान करने वाली बात ये है कि कि दो लोगों की इससे मौत भी हो गई है। तमिलनाडु के वेल्लोर में भी कुछ दिन पहले एक इलेक्ट्रिक स्कूटर की चार्जिंग के दौरान उसकी बैटरी में विस्फोट हो गया था। इसमें एक पिता-पुत्री की मौत हो गई थी।

जिन EV स्कूटर्स में आग लगी है उनमे Ola के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स और Okinawa के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स शामिल हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटनाओं को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की Centre for Fire Explosive and Environment Safety (CFEES) इकाई को जांच सौंपी है।

ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने और स्मार्टफोन्स फटने की घटनाओं को एक साथ जोड़ा जा रहा है। ऐपल और सैमसंग सहित लगभग सभी छोटी बड़ी कंपनियों के स्मार्टफोन्स समय समय पर फटते हैं। ऐसे में स्मार्टफोन फटने और और EV स्कूटर्स जलने के बीच कनेक्शन की तलाश की जा रही है।

दरअसल, EV और स्मार्टफोन दोनों में ही Lithium-ion बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर Lithium-ion बैटरी दो वजहों से फटती हैं या जलती हैं।

पहला तो ये है कि बैटरी बनाने में ही समस्या है जिसे मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट कह सकते हैं या फिर बैटरी जलने के पीछे कोई एक्स्टर्नल वजह है, यानी किसी तरह से बैटरी को मिसहैंडल किया गया हो।

अब सवाल उठता है कि लिथियम आयन (Lithium ION) बैटरी काम कैसे करती है? तो बता दे, लिथियम आयन बैटरी - चाहे वो स्मार्टफोन में लगी हो या EV में। इनके काम करने का तरीका मोटे तौर पर एक जैसा ही है। इनमें मुख्य रूप से इलेक्टोड्स, इलेक्ट्रोलाइट और सेपरेटर लगे होते हैं।

इन तीनों के काम भी अलग अलग अलग हैं। इलेक्ट्रोड्स लिथियम को स्टोर करने का काम करता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट लिथियम आयन को इलेक्ट्रोड्स में ले जाता है। सेपरेटर पॉजिटिव इलेक्ट्रोड्स और नेगेटिव इलेक्ट्रोड्स को एक दूसरे से अलग करता रहता है यानी इन दोनों का कॉन्टैक्ट ना हो पाए उसे सुनिश्चित करता है।

ज्यादातर बार ऐसा पाया गया है कि लिथियम आयन बैटरियां गलत तरह से बनाए जाने की वजह से फटती हैं। इसके अलावा अगर सॉफ्टवेयर के साथ इन्हें ठीक से जोड़ा नहीं गया हो तो भी ऐसा होता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर के वर्किंग में अगर कोई दिक्कत होती है तो भी बैटरी रिस्क पर होती है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल में जो लिथियम आयन बैटरी यूज की जाती है उनमे ऑर्गेनिक लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी वीकनेस ये होती है कि टेंप्रेचर बढ़ने पर इसमें आग लगने का खतरा रहता है।

भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी EV में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कई बड़ी बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों पर भी ये आरोप लगे हैं कि उन्होंने खराब बटरी की सप्लाई की जिनकी वजह से EV में आग लग सकती थी।

हालांकि कई एक्सपर्ट्स अभी भी ये मानते हैं कि EV में आग लगने की एक खास वजह को बता पाना काफी मुश्किल है। एक बार को ये पता लगाया जा सकता है कि EV में आग बैटरी जलने से लगी है, लेकिन सटीक कारण का पता लगाना बेहद मुश्किल है।