भगतसिंह को अपने क्रांतिकारी और जोशीले स्वभाव के लिए जाना जाता था। और उनकी कई क्रांतिकारी गतिविधियों मे भागीदारी की वजह से वे पुलिस की नजरों में आए और गिरफ्तार हुए। वे अपनी बात जन-जन तक पहुँचाना चाहते थे और इसके लिए वे कई उग्र तरीके भी अपनाते थे। इन्हीं में से एक था ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉन्डर्स की मृत्यु का। आज हम आपको इससे जुडी जानकारी बताने जा रहे हैं।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के लिए स्वायत्तता की चर्चा के लिए साइमन कमीशन का गठन किया था। इसका कई भारतीय राजनीतिक संगठनों द्वारा बहिष्कार किया गया था क्योंकि साइमन कमीशन में किसी भी भारतीय प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया था। लाला लाजपत राय ने एक जुलूस का नेतृत्व करके लाहौर स्टेशन की ओर बढ़ते हुए इसका विरोध किया। भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश में पुलिस ने लाठी चार्ज के हथियार का इस्तेमाल किया और प्रदर्शनकारियों को क्रूरता से मारा। लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ हफ्तों बाद उन्होंने अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया।
इस घटना से भगत सिंह इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई। भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉन्डर्स को जल्द ही मार दिया। उन्होंने और उनके सहयोगियों में से एक ने बाद में दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा में बम भी फेंका। इसके बाद उन्होंने इस घटना में अपनी भागीदारी कबूलते हुए पुलिस में आत्मसमर्पण कर दिया।
जांच अवधि के दौरान भगत सिंह ने जेल में भूख हड़ताल की। 23 मार्च 1931 को उनको और उनके सह-षड्यंत्रकारी राजगुरू और सुखदेव को फांसी की सज़ा दे दी गई।