इन टिप्स की मदद से करे गाड़ी से होने वाले पॉल्यूशन को कम

देश में बढ़ती गाड़ियों के साथ-साथ पॉल्यूशन के स्तर में भी तेजी से वृधि हुई है। ऐसे में जरूरी है कि कार इंजन को दुरुस्त रखा जाए, ताकि वह कम से कम प्रदूषण पैदा करे। कई बार गाड़ियों में ऐसी गड़बड़ी पैदा हो जाती है, जिसके चलते प्रदूषण बढ़ने लगता है। आपकी गाड़ी पॉल्यूशन कितना दे रही है इसके लिए समय-समय पर पॉल्यूशन चेक करवाएं। वैसे नियम के मुताबिक हर तीन महीने में पीयूसी चेक करना अनिवार्य है। गाड़ी का पॉल्यूशन लेवल तय सीमा से ज्यादा हो तो सर्विस सेंटर में इसकी जांच करवा लें। इससे गाड़ी की परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है। आज हम आपको गाड़ियों से होनेवाले पॉल्यूशन को कम करने के लिए कुछ उपाय बताये जा रहे हैं।

ट्यूनिंग

गाड़ी की ट्यूनिंग सही नहीं होने या इंजन में खराबी आने से ईंधन के खपत में बढोतरी हो जाती है जिसका नतीजा यह होता है कि इससे माइलेज तो घटता ही है, प्रदूषण का लेवल भी बढ़ने लगता है। इसलिए गाड़ी की तय समय पर सर्विस करावएं और जैसे ही माइलेज में गिरावट आए तुरंत उसकी जांच करवाएं।

इंजन ऑयल

गाड़ी के इंजन की परफॉर्मेंस, इंजन की लाइफ और पॉल्यूशन इंजन ऑयल पर निर्भर करती है। कई बार इंजन में बार-बार ऑयल लेवल कम होने लगता है क्योंकि सही इंजन ऑयल का इस्तेमाल नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि कार कंपनी जो रिकमेंड करे वही इंजन ऑयल डलवाएं। आज कल सभी ऑटो कंपनियां गाड़ी की इंजन क्षमता के हिसाब से इंजन ऑयल तय करती हैं। जैसे पेट्रोल इंजन के लिए अलग और डीजल इंजन के लिए अलग।

साइलेंसर

पॉल्यूशन के लेवल को कम करने के लिए आजकल सभी गाड़ियों के साइलेंसर में कैटलिटिक कन्वर्टर लगे होते हैं। इनमें सिलिकॉन रॉड्स होती हैं। इनके खराब हो जाने से भी गाड़ी का पॉल्यूशन का लेवल बढ़ जाता है क्योंकि साइलेंसर की भी लाइफ होती है। साथ ही कई बार कुछ लोग लाउड आवाज के लिए बाहर से साइलेंसर लगवाते हैं उससे भी पॉल्यूशन बढ़ता है। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि तय समय पर साइलेंसर बदलवा दें और साइलेंसर से छेड़-छाड़ ना करें।