जानिए - अविश्वास प्रस्ताव का नियम, किस तरह पारित होता है और लोकसभा में पक्ष और विपक्ष की संख्या गणित

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिस पर आगामी शुक्रवार को बहस होगी। जैसा कि तय माना जा रहा था कि सदन की बैठक की शुरुआत हंगामेदार रही। विपक्षी पार्टियों ने सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन की सरकार को कई मुद्दों पर घेरते हुए अविश्वास का प्रस्ताव रखा। लोकसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया है और अब 20 जुलाई को इस पर संसद में चर्चा होगी। लोकसभा के आंकड़ों पर नजर डालें, तो मालूम चलता है कि 543 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा वक्त में 535 सासंद हैं। ऐसे में भाजपा को बहुमत हासिल करने के लिए महज 268 सांसद का समर्थन चाहिए होगा।

भाजपा के पास मौजूदा वक्त में बहुमत के लिए 272 सीटें है। अगर भाजपा के बागी नेताओं शत्रुघ्न सिंहा और कीर्ति आजाद को एनडीए से बाहर भी कर दें, तब भी भाजपा के पास 270 सीटें हैं, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो ज्यादा है, जबकि भाजपा के सहयोगी सांसदों की संख्या 12 है। ऐसे में सरकार गिरने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा भाजपा के पास सहयोगी दलों शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4 और अन्य के 9 सदस्यों का समर्थन हासिल है। इस तरह से एनडीए के कुल सांसदों की संख्या 310 पहुंच रही है।

अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष के सासंदों का समर्थन हासिल हैं। विश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले दलों में कांग्रेस , सपा, बसपा, आरजेडी, एनसीपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, सोशलिस्ट जनता, इंडियन यूनियन मुस्लिम,केरल कांग्रेस, टीएमसी, वाम दल और में तेलुगु देशम पार्टी शामिल है। अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में सत्ताधारी भाजपा, शिवसेना, डीएमडीके, अकाली दल, एमडीएमके, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, अपना दल, रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया, नेशनल पीपल्स पार्टी शामिल है। बीजेडी और एआईडीएमके जैसे दल अभी किसी के समर्थन के पक्ष या विपक्ष में नहीं है।

भाजपा- 273
कांग्रेस- 48
एआईएडीएमके-37
टीएमसी- 34
बीजेडी- 20
टीडीपी- 16
शिवसेना-18
एलजेपी-06
एसएडी-04
अन्य-79

अविश्वास प्रस्ताव का नियम

संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं है। लेकिन अनुच्छेद 118 के तहत हर सदन अपनी प्रक्रिया बना सकता है जबकि नियम 198 के तहत ऐसी व्यवस्था है कि कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है। ऐसा ही मंगलवार 18 जुलाई को टीडीपी और कांग्रेस सदस्य ने नोटिस दिया। जिसपर अब शुक्रवार को बहस होगी।

किस तरह पारित होता है प्रस्ताव

प्रस्ताव पारित कराने के लिए सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष को इसकी लिखित सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहता/कहती हैं। यह बात सदन में तब उठती है जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है। फिलहाल विपक्ष भाजपा को घेरने में जुटी है। और लगभग सभी विपक्षी दल अब एकजुट होते नजर आ रहे हैं।

कब स्वीकार किया जाता है अविश्वास प्रस्ताव और क्या होता है मंजूरी मिलने के बाद

अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल होना चाहिए तभी उसे स्वीकार किया जा सकता है। लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर की मंजूरी मिलने के बाद 10 दिनों के अदंर इस पर चर्चा कराई जाती है। चर्चा के बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कराता है या फिर कोई फैसला ले सकता है।