लोकसभा में बुधवार को वक्फ बोर्ड विधेयक पेश किया गया, जिस पर चर्चा के दौरान कैराना से सपा सांसद इकरा हसन ने अपनी आपत्तियां जोरदार तरीके से रखीं। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह बिल मुसलमानों की भलाई के बजाय उनकी विरासत और पहचान को मिटाने का प्रयास है।
'ईद के बाद नई पाबंदी', इकरा हसन ने जताई नाराजगीविधेयक पर बोलते हुए इकरा हसन ने कहा, मैं इस बिल के समय पर लाए जाने की प्रशंसा करना चाहती हूं। अभी ईद की खुशियां खत्म भी नहीं हुई थीं कि हमारी जड़ों पर एक और फरमान आ गया। पहले उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की कोशिश की गई, और अब यह विधेयक लाया गया है।
अपनी बात को मजबूती देने के लिए उन्होंने एक शेर भी पढ़ा:निसार मैं तेरी गलियों पर ऐ वतन, जहां चली है रिवाजो गैर,
कि जहां कोई न सर उठाकर चल सके...
विधवा महिला का ज़िक्र, लाखों गरीबों के लिए जताई चिंताइकरा हसन ने सदन में बताया कि ईद के दिन एक विधवा महिला अपनी बेटी के साथ उनके पास आई और चिंता जताई कि वह वक्फ की संपत्ति पर रहती है, लेकिन नए बिल से उसकी जमीन छिन जाने का डर है। उन्होंने कहा, ऐसे लाखों गरीब लोग हैं, जो वक्फ की संपत्ति से जुड़े हैं और इस बिल से उनका जीवन संकट में आ सकता है। उन्होंने वक्फ बाय यूजर क्लॉज को हटाने का विरोध करते हुए कहा कि इससे कई संपत्तियां वक्फ का दर्जा खो देंगी और हजारों परिवारों को बेघर होना पड़ेगा।
'धार्मिक ट्रस्टों को मिले अधिकार, लेकिन वक्फ बोर्ड को नहीं?'इकरा हसन ने तर्क दिया कि भारतीय न्यायालयों ने पहले ही यह मान्यता दी है कि वक्फ बाय यूजर सिर्फ वक्फ बोर्ड की सौगात नहीं, बल्कि अन्य धार्मिक ट्रस्टों को भी इसी आधार पर कानूनी अधिकार मिले हैं। उन्होंने कहा, अगर यह विधेयक कानून बन जाता है, तो वक्फ बोर्ड अपने अधिकार खो देगा, लेकिन अन्य धार्मिक ट्रस्टों को यह सुविधाएं मिलती रहेंगी। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव के खिलाफ है।
'विवाद होते ही वक्फ की संपत्ति खत्म?' सत्ता पक्ष पर साधा निशाना
उन्होंने विधेयक में संशोधन को सत्ता पक्ष की चालाकी बताते हुए कहा कि अगर कोई वक्फ संपत्ति विवादित हो जाती है, तो उसका वक्फ का दर्जा खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा, यह संशोधन व्यर्थ है। असल में, यह बिल मुसलमानों के वजूद और विरासत को मिटाने की साजिश है। इकरा हसन के बयान के बाद लोकसभा में इस विधेयक पर बहस और तेज हो गई। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।