
सोमवार की शाम पूरे देश में एक डिजिटल संकट की स्थिति बन गई जब UPI आधारित पेमेंट सिस्टम अचानक ठप हो गया। कैशलेस इकोनॉमी पर भरोसा करने वाले लाखों लोगों को अचानक से पेमेंट करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। Paytm, Google Pay और PhonePe जैसे प्रमुख डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स अचानक डाउन हो गए, जिससे पूरे भारत में ऑनलाइन लेनदेन अटक गए।
सोशल मीडिया पर शिकायतों की बाढ़सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे X (पूर्व में ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर यूज़र्स ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की और UPI सर्विस ठप होने की शिकायतों की बाढ़ ला दी। Downdetector जैसी वेबसाइट पर भी UPI ऐप्स को लेकर समस्याओं की रिपोर्ट्स तेजी से बढ़ने लगीं। Paytm खोलते ही यूज़र्स को एक एरर मैसेज मिल रहा था, “UPI app is facing some issues.” यह साफ़ संकेत था कि परेशानी सिर्फ एक ऐप तक सीमित नहीं है, बल्कि UPI सिस्टम में बड़ी तकनीकी समस्या आई है।
एक महीने में तीसरी बार हुआ ब्रेकडाउनचौंकाने वाली बात यह है कि बीते एक महीने में यह तीसरा मौका है जब UPI सेवाएं इस तरह ठप पड़ी हैं। जिस सिस्टम पर हर दिन करोड़ों लोग निर्भर रहते हैं, उसका बार-बार क्रैश होना अब यूज़र्स की चिंता का विषय बन गया है। खासकर दुकानदार, कैब ड्राइवर और आम ग्राहक सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं, जो हर रोज़ डिजिटल पेमेंट्स पर निर्भर रहते हैं।
मार्च में बने थे रिकॉर्ड, अब भरोसे पर सवालमार्च 2025 में भारत में UPI के जरिए कुल 18.30 अरब ट्रांजैक्शन्स हुए थे, जो फरवरी के मुकाबले 5 फीसदी ज़्यादा था। यह लेनदेन कुल मिलाकर ₹24.77 लाख करोड़ तक पहुंच गया था। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि क्या इतनी बड़ी मात्रा में ट्रांजैक्शन संभालने के लिए मौजूदा तकनीकी ढांचा पर्याप्त है? डिजिटल इंडिया की रफ्तार को कहीं इस तरह की तकनीकी खामियां धीमा तो नहीं कर रही हैं?
UPI का सबसे बड़ा खिलाड़ी कौन?मार्च में UPI ट्रांजैक्शन के मामले में PhonePe सबसे आगे रहा, जिसने अकेले 864.7 करोड़ ट्रांजैक्शन्स किए। यह पूरे UPI सिस्टम का लगभग 47 फीसदी हिस्सा है। वहीं, Google Pay ने 36 फीसदी से ज़्यादा ट्रांजैक्शन्स को हैंडल किया। इन दोनों ऐप्स ने मिलकर UPI के बड़े हिस्से को नियंत्रित किया, लेकिन जब सर्वर डाउन होता है, तो इन दिग्गज ऐप्स से भी यूज़र्स को राहत नहीं मिलती। यह स्थिति यह भी दर्शाती है कि UPI के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ इसके तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी और मजबूत बनाने की आवश्यकता है।