बारामूला। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में पिछले चार दिनों से आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास शनिवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए। कश्मीर पुलिस ने बताया कि बारामूला जिले के सीमावर्ती इलाके हथलंगा के उरी क्षेत्र में शनिवार सुबह मुठभेड़ छिड़ गई। मारे गए दो आतंकियों की तस्वीरें भी जारी की गई हैं। तीसरे आतंकी की लाश, बॉर्डर के पास पड़ी है। पाकिस्तान पोस्ट से लगातार फायरिंग होने के कारण बॉडी नहीं उठाई जा सकी है। तीनों की पहचान होना बाकी है।
उरी-हथलंगा में सुबह आतंकियों के देखे जाने के बाद सेना-पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन शुरू किया था। इस दौरान आतंकियों ने फायरिंग की। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की। ये वही इलाका है जहां दिसंबर 2022 में सुरक्षा बलों ने एक बड़े आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया था। तब एक गुफा से हथियारों का जखीरा बरामद किया था।
पिछले 6 दिनों में यह तीसरा एनकाउंटर है। 12 सितंबर को राजौरी में 2 आतंकी मारे गए और 1 जवान शहीद हुआ था। अनंतनाग के कोकेरनाग के जंगल में 13 सितंबर से एनकाउंटर जारी है। 4 जवान शहीद हो चुके हैं। यहां भी आतंकियों की तलाश जारी है।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में मंगलवार शाम को हुई आतंकियों से मुठभेड़ अभी भी
जारी रही। यहां अब तक 4 जवान शहीद हो चुके हैं। अनंतनाग में पहाड़ी इलाके
के घने जंगलों में छिपे आतंकियों की तलाश में करीब दो हजार जवान लगे हैं।
ड्रोन सर्विलांस में जहां भी आतंकियों के छिपे होने की संभावना है, वहां
मोर्टार दागे जा रहे हैं।
हेलिकॉप्टर और स्निफर डॉग्स की भी मदद ली जा रही है। पीर पंजाल नाम का यह पहाड़ी इलाका करीब 4300 किमी में फैला है, जो सर्च ऑपरेशन के लिए बड़ी चुनौती है। फिलहाल नॉर्दन कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी एनकाउंटर साइट पर मौजूद हैं।
आतंकियों ने मंगलवार (12 सितंबर) शाम उस वक्त हमला किया था, जब सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस तलाशी अभियान चला रही थी। अब तक सेना के दो अधिकारी, एक जवान और एक पुलिस अधिकारी शहीद हो चुके हैं।
आतंकी ठिकानों पर बमबारी जारीआतंकी ऊंची पहाड़ी पर हैं। ऐसे में सेना ने छाताधारी सैनिकों को उतारने के साथ ही मीडियम रेंज के तोपखानों से भी गोले बरसाये जा रहे हैं। वहीं, हेरोन मार्क 2 जैसे खतरनाक ड्रोन का इस्तेमाल आतंकियों के संभावित ठिकानों पर बमबारी करने में किया जा रहा है।