दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.87 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 91 लाख 49 हजार 291 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10.96 लाख के पार हो चुका है। फ्रांस में बीते 24 घंटे में 30 हजार 621 संक्रमित मिले। यह महामारी शुरू होने के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सभी येही चाहते है कि कोरोना वायरस वैक्सीन जल्द आए। रिसर्चर्स भी इसी कोशिश में लगे हुए है कि वैक्सीन को जल्द से जल्द बना लिया जाए लेकिन इन कोशिशों को एक बड़ा झटका इन दिनों लगा है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में तीन कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया गया है। अमेरिकी कंपनी जॉनसन ऐंड जॉनसन (Johnson & Johnson) ने अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन का टेस्ट रोक दिया। इसके बाद एली लिली (Eli Lilly) ने भी कोविड-19 की एक दवा पर जारी रिसर्च को रोकने का फैसला किया। कंपनी की प्रवक्ता मॉली मैक्कुली ने कहा कि लिली के लिए के सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. हम इस बात से अवगत हैं कि, अत्यधिक सावधानी के चलते ACTIV-3 स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड (DSMB) ने नामांकन को लेकर इसे रोकने की सिफारिश की है. मॉली ने कहा कि लिली DSMB द्वारा इस अध्ययन में भाग लेने वाले रोगियों की सुरक्षा को सावधानीपूर्वक सुनिश्चित करने के निर्णय लेने का समर्थन करती है.
कुछ दिन पहले, ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने भी दो वॉलंटियर्स के बीमार होने पर कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) का फेज-3 ट्रायल रोका था। हालाकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड-19 से जुड़े इन तीन ट्रायल्स का रुकना एक अच्छा संकेत भी है। दरअसल, यह देरी एक तरह से सुकून देनी वाली है कि रिसर्चर्स पूरे सेफ्टी प्रोटोकॉल्स का पालन कर रहे हैं।
ट्रायल रोकने को लेकर कंपनियां ज्यादा कुछ नहीं बता रही हैं। सितंबर में अस्त्राजेनेका (AstraZeneca) ने केवल इतना कहा कि उसके एक वॉलंटियर को ऐसी बीमारी हुई जिसकी वजह साफ नहीं है। लेकिन बाद में जानकारी आई कि दो वॉलंटियर्स को एक ही तरह की बीमारी हुई थी। दोनों के स्पाइनल कॉर्ड में जलन होने लगी थी। जॉनसन ऐंड जॉनसन ने कहा था कि वह 'अस्पष्ट बीमारी' की वजह से वैक्सीन का ट्रायल रोक रही है। एली लिल्ली के ऐंटीबॉडी ट्रीटमेंट को इसलिए रोका गया क्योंकि जिस ग्रुप को दवा दी गई और जिसे प्लेसीबो मिला, दोनों के स्वास्थ्य में अंतर था। हालांकि कंपनी ने यह जानकारी सामने नहीं रखी है।
अमेरिकी कंपनियों ने संभवत: सुरक्षा कारणों के चलते ट्रायल रोके हैं लेकिन पूरी जानकारी सामने नहीं रखी है। वैक्सीन के ट्रायल बीच में रुकना कोई नहीं बात नहीं है। लेकिन एली लिल्ली की ऐंटीबॉडी दवा का ट्रायल रुकना थोड़ा दुर्लभ है और एक्सपर्ट्स इसे लेकर चिंता में हैं। कंपनी अस्पताल में भर्ती मरीजों पर टेस्ट कर रही थी। एक्सपर्ट्स ने कहा कि पहले से बीमार लोगों की तबीयत और खराब होना चौंकाने वाली बात नहीं है। ऐसे में इस तरह के ट्रायल को रोकने के पीछे सुरक्षा की कोई बड़ी चिंता रही होगी।
ट्रायल में नहीं पता होता वैक्सीन मिली या प्लेसीबोजब आखिरी चरणों के ट्रायल में वॉलंटियर्स शामिल होते हैं तो उनमें से कुछ को प्लेसीबो भी मिलता है। यह ट्रायल रैंडमाइज्ड और डबल ब्लाइंड होते हैं यानी किसे, किस क्रम में वैक्सीन या प्लेसीबो देना है, यह तय नहीं होता। न तो डॉक्टर और न ही वॉलंटियर को पता होता है कि उसे क्या दिया गया है। अगले कुछ हफ्तों तक उनकी निगरानी की जाती है। वैक्सीन ट्रायल में शामिल लोगों का आमतौर पर हर महीने चेकअप होता है और लक्षण एक जर्नल में दर्ज होते हैं।
ट्रायल रोकने की क्या है प्रक्रिया?सिरदर्द, चकत्तों जैसे हल्के लक्षणों की वजह से वैक्सीन के ट्रायल नहीं रुकते। रिसर्चर्स तभी ट्रायल रोकते हैं जब कोई गंभीर समस्या होती है। फिर रिसर्च स्पांसर करने वाली कंपनी को जानकारी दी जाती है। स्पांसर्स को इसकी जानकारी फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन को देनी पड़ती है। इसके अलावा स्वतंत्र सलाहकारों जो डेटा ऐंड सेफ्टी मॉनटरिंग बोर्ड के सदस्य होते हैं, उन्हें भी इस बारे में अपडेट करना होता है। अगर बोर्ड या कंपनी तय करती है कि समस्या बड़ी है जो वे ट्रायल रोक सकते हैं। भले ही तब तक उन्हें ये न पता होगा कि जिसे बीमारी हुई है, उसे वैक्सीन दी गई या प्लेसिबो (Placebo)।
ट्रायल रुकने के बाद क्या होता है?अगर यह क्लियर हो जाए कि वैक्सीन से बीमारी हुई है तो बोर्ड को खासी रिसर्च करनी पड़ती है। पेशेंट के मेडिकल रिकॉर्ड खंगाले जाते हैं। सिर्फ पीड़ित ही नहीं, ट्रायल में शामिल बाकी लोगों की भी पूरी हिस्ट्री चेक की जा सकती है। बोर्ड अपनी रिसर्च के बाद एक नतीजे पर पहुंचता है। बोर्ड की फाइंडिंग्स को रेगुलेटर्स रिव्यू करते हैं। अगर ट्रायल कई देशों में चल रहे हैं तो उसे रोकना एक बड़ी चुनौती होता है।
अस्त्राजेनेका (AstraZeneca) ने 6 सितंबर को ग्लोबल ट्रायल्स रोके थे, उसके बाद ब्राजील (Brazil), जापान (Japan), भारत (India), साउथ अफ्रीका (South Africa) और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने ट्रायल दोबारा शुरू करने की इजाजत दे दी थी। मगर अमेरिका (America) ने अब भी इस वैक्सीन का ट्रायल दोबारा शुरू नहीं किया है। वे अभी सबूत खंगाल रहे हैं।