चंद्रशेखर आजाद एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें 'बहरूपिया' कहा जाता था क्योंकि वे अपना रूप बदलने में माहिर थे और इसलिए वे कभी भी पुलिस के पकड़ में नहीं आए। इनका असली नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था। लेकिन जब चंद्रशेखर सिर्फ 14 साल की उम्र में 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे और तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जब जज ने उनसे उनके पिता नाम पूछा तो जवाब में चंद्रशेखर ने अपना नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया। यहीं से चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ा। आजादी पाने के लिए हद तक जाना और बेखौफ अंदाज दिखाना, इन दोनों ही बातों से चंद्रशेखर आजाद आज अमर हैं और इसी के साथ इनके द्वारा कहे गए इनको अनमोल विचार भी अमर हैं, जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
* आप हर दिन दूसरों को, अपने रिकॉर्ड तोड़ने का इंतजार मत करो, बल्कि खुद उसे तोड़ने का प्रयत्न करो, क्योंकि सफलता के लिए आपसे खुद की एक लड़ाई है।
* यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता तो उसका जीवन व्यर्थ है।
* अभी भी जिसका खून ना खौला, वो खून नहीं पानी है जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है।
* दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे,आजाद ही रहे हैं, आजाद रहेंगे।
* मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता समानता और भाईचारा सिखाता है।
* मेरा नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल हैं।
* हमारी लड़ाई आखिरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत।
* मुझे बचपन में शेर का मांस खिलाया गया हैं।