तेल की कीमतों में ताबड़तोड़ वृद्धि के बाद पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले कर में कटौती की मांग तेज हुई थी जिसको खारिज करते हुये केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस तरह का कोई भी कदम नुकसानदायक हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने नागरिकों से कहा कि वे अपने हिस्से के करों का ईमानदारी से भुगतान करें, जिससे पेट्रोलियम पदार्थों पर राजस्व के स्रोत के रूप में निर्भरता कम हो सके। जेटली ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी में कटौती का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लंबे समय बाद हॉस्पिटल से लौटे जेटली ने कहा कि वेतनभोगी कर अदायगी में अपने हिस्से का भुगतान कर रहे हैं, ऐसे में समाज के अन्य तबकों को भी टैक्स देने का रिकॉर्ड को सुधारना होगा। भारतीय समाज अभी भी टैक्स देने वाली सोसाइटी बनने से काफी दूर है। उन्होंने राजनेताओं से भी इस बाबत अपील की है। जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘यदि गैर-तेल श्रेणी में होने वाली कर चोरी रुक जाए और लोग ईमानदारी से टैक्स दें तो कर राजस्व के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता खुद-ब-खुद ही कम हो जाएगी।’
- एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने लिखा है कि सिर्फ वेतनभोगी वर्ग ही अपने हिस्से का कर अदा करता है। जबकि ज्यादातर अन्य लोगों को अपने कर भुगतान के रिकॉर्ड को सुधारने की जरूरत है। यही वजह है कि भारत अभी तक एक कर अनुपालन वाला समाज नहीं बन पाया है।
- जेटली ने कहा कि मेरी राजनीतिज्ञों और टिप्पणीकारों से अपील है कि गैर तेल कर श्रेणी में अपवंचना रुकनी चाहिए। यदि लोग ईमानदारी से कर अदा करेंगे तो कराधान के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा। बहरहाल, मध्य से दीर्घावधि में राजकोषीय गणित में कोई भी बदलाव प्रतिकूल साबित हो सकता है।
- उन्होंने कहा कि पिछले चार साल के दौरान केंद्र सरकार का कर जीडीपी अनुपात 10 प्रतिशत से सुधरकर 11.5 प्रतिशत हो गया है। इसमें से करीब आधी (जीडीपी का 0.72 प्रतिशत) वृद्धि गैर तेल कर जीडीपी अनुपात से हुई है।
- जेटली ने कहा कि गैर तेल कर से जीडीपी अनुपात 2017-18 में 9.8 प्रतिशत था। यह 2007-08 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। उस साल हमारे राजस्व की स्थिति अनुकूल अंतरराष्ट्रीय वातावरण की वजह से सुधरी थी।
- उन्होंने कहा कि इस सरकार ने राजकोषीय मजबूती और वृहद आर्थिक दायित्व व्यवहार को लेकर मजबूत प्रतिष्ठा कायम की है। राजकोषीय रूप से अनुशासन नहीं बरतने से अधिक कर्ज लेना पड़ता है जिससे ऋण की लागत बढ़ जाती है।
- जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं को राहत सिर्फ राजकोषीय रूप से जिम्मेदार और वित्तीय दृष्टि से मजबूत केंद्र सरकार और वे राज्य दे सकते हैं जिनको तेल कीमतों में असामान्य बढ़ोतरी की वजह से अतिरिक्त राजस्व मिल रहा है।
- उन्होंने कहा कि नई प्रणाली में अनुपालन के ऊंचे स्तर के बावजूद गैर तेल कर के मामले में भारत अभी भी कर अनुपालन वाला समाज नहीं बन पाया है।
- उन्होंने कहा कि वेतनभोगी वर्ग कर अनुपालन वाला है। अन्य वर्गों को अभी इस बारे में अपना रिकॉर्ड सुधारने की जरूरत है। जेटली ने कहा कि ईमानदार करदाताओं को न केवल अपने हिस्से के करों का भुगतान करना पड़ता है बल्कि उन्होंने कर अपवंचना करने वालों के हिस्से की भी भरपाई करनी पड़ती है।