IT की रेड तीसरे दिन भी जारी; शिवसेना ने कहा- तापसी पन्नू और अनुराग को मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की मिली सजा

फैंटम फिल्म्स के कई शेयर होल्डर्स के यहां आयकर अधिकारियों की छापेमारी तीसरे दिन भी जारी है। क्वान टैलंट मैनेजमेंट कंपनी में काम करने वालों से पूछताछ हो रही है। आयकर अधिकारी क्वान और सेलेब्रिटीज के बीच हुए एग्रीमेंट्स/ कॉन्ट्रेक्ट्स को चेक कर रहे हैं। क्वान ने इन कॉन्ट्रेक्ट्स में कितना कमीशन कमाया है उस पर भी आयकर विभाग की नजर है। इस अमाउंट को फैंटम फिल्म्स की अकाउंट बुक से मैच कराया जाएगा और पता किया जाएगा कि फैंटम ने फिल्म स्टार्स को भुगतान करने की जो जानकारी दी है वह सही है या नहीं। CBDT के मुताबिक, यह पता चला है कि एक लीडिंग प्रोडक्शन हाउस ने अपनी एक्चुअल बॉक्स ऑफिस इनकम के मुकाबले कमाई को कम दिखाया। यह गड़बड़ी करीब 300 करोड़ की है। प्रोडक्शन हाउस इसका हिसाब नहीं दे पाया। लीडिंग प्रोड्यूसर-डायरेक्टर के ठिकानों पर छापे के दौरान फर्जी खर्च के सबूत मिले। इस दौरान 20 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। एक्ट्रेस के खिलाफ भी इसी तरह के सबूत मिले हैं, जिसकी जांच की जा रही है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस यानी CBDT ने गुरुवार को बताया कि कुल 370 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। यह टैक्स चोरी शेयर ट्रांजैक्शन का अंडर वैल्यूएशन कर और फर्जी खर्चे दिखाकर हुई है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बुधवार सुबह 8 बजे से मुंबई, पुणे समेत कुछ अन्य शहरों में कुल 28 ठिकानों पर छापे मारे।

बता दे, देर रात दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर जया साहा को तलब किया गया था। इस कार्रवाई को लेकर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उसने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है, 'तापसी और अनुराग केंद्र सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं, इसलिए उनके साथ ऐसा हो रहा है।'

सामना में यह लिखा गया है

देश की राजनीतिक तस्वीर साफ होती जा रही है, अधिक गड़बड़ाती जा रही है या पेचीदा होती जा रही है? केंद्र सरकार के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय ने रखा और उसी दौरान मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले कलाकार और सिने जगत के निर्माता-निर्देशकों पर ‘इनकम टैक्स’ के छापे पड़ने लगे हैं। इनमें तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप, विकास बहल और वितरक मधु मंटेना का नाम प्रमुख है।

मुंबई-पुणे में 30 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे गए। तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप खुलकर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं। सवाल इसलिए पैदा होता है कि हिंदी सिने जगत का व्यवहार और काम-धाम स्वच्छ और पारदर्शी है, अपवाद केवल तापसी और अनुराग कश्यप का है। सिने जगत की कई महान उत्सव मूर्तियों ने किसान आंदोलन के संदर्भ में विचित्र भूमिका अपनाई। उन्होंने किसानों को समर्थन तो नहीं दिया, उल्टे दुनियाभर से जो लोग किसानों को समर्थन दे रहे थे उनके बारे में इन उत्सव मूर्तियों ने कहा कि यह हमारे देश में दखलंदाजी है। लेकिन तापसी और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोग किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े रहे। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।

2011 में किए गए एक लेन-देन के संदर्भ में ये छापे पड़े हैं। इन लोगों ने एक ‘प्रोडक्शन हाउस’ बनाया और उसके टैक्स से संबंधित यह मामला है। जिस हिसाब से इनकम टैक्स ने छापे मारे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो है ही। लेकिन, छापे मारने के लिए या कार्रवाई करने के लिए सिर्फ इन्हीं लोगों को क्यों चुना गया? तुम्हारे उस ‘बॉलीवुड’ में रोज जो करोड़ों रुपए उड़ रहे हैं, वो क्या गंगाजल के प्रवाह से आ गए? लेकिन कहीं-न-कहीं फंसने पर सरकार के इशारों पर नाचना और बोलना होता आया है। इनमें कुछ लोग स्वाभिमानी और अलग ही मिट्टी के बने होते हैं।’

सामना में अनुराग कश्यप के बारे में लिखा गया है, 'उनके लिए यही कहना पड़ेगा। उनके विचारों से सहमति भले न हो, लेकिन उन्हें उनके विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। दीपिका पादुकोण ने जेएनयू में जाकर वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात की तब उनके बारे में भी छुपे आंदोलन और बहिष्कार का हथियार चलाया गया। दीपिका की फिल्म को नियोजित तरीके से फ्लॉप करने का प्रयास हुआ ही। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ गंदी मुहिम चलाई गई। ये सब करनेवाले कौन हैं या किस विचारधारा के हैं, ये छोड़ो। लेकिन यह तय है कि ऐसे काम करके वे लोग देश की प्रतिष्ठा बढ़ा नहीं रहे हैं।'