गुजरात की जनता भी खुश नहीं पीएम मोदी से, सर्वे में हुआ खुलासा

राजनीतिक सुधारों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के एक सर्वे में गुजरात के मतदाताओं ने आम जन से जुड़े मुद्दों पर मोदी सरकार के कामकाज को औसत से भी कम रेटिंग दी है। पिछली बार बीजेपी ने राज्य की सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी और पार्टी को 60 फीसद वोट मिले थे, लेकिन इस बार स्थिति बदली नजर आ रही है। मोदी सरकार भले ही कितने भी दावे कर ले लेकिन पीएम के गृहराज्य के वोटर ही उनके कामकाज से नाख़ुश दिखाई दे रहे है। एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के सर्वे के मुताबिक गुजरात में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। सर्वे में 42.68 फीसद मतदाताओं ने कहा है कि रोजगार का अवसर उनकी पहली प्राथमिकता है और उन्होंने इस फ्रंट पर मोदी सरकार के कामकाज को पूरी तरह नकार दिया है। मोदी सरकार भले ही नई नौकरियां पैदा करने का दावा कर रही हो, लेकिन गुजरात की जनता ने रोजगार के मोर्चे पर सरकार द्वारा उठाये गए कदम को औसत से भी कम मानती हैं। गुजरात की जनता ने 5 में से सिर्फ 2.33 रेटिंग दी है। इसी तरह 37.12 फीसद मतदाताओं की प्राथमिकता पीने का पानी है और इस मुद्दे पर सरकार को 2.60 रेटिंग दी है। इसी तरह, 30.23 प्रतिशत मतदाताओं ने अच्छे अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी प्राथमिकता बताया है। इस मोर्च पर भी सरकार की पहल से नाखुशी जाहिर की है और 2.62 रेटिंग ही दी है।

अगर गुजरात के शहरी और ग्रामीण मतदाताओं की अलग-अलग बात करें तो शहरी मतदाताओं के लिए ट्रैफिक जाम सबसे बड़ा मुद्दा है। जबकि ग्रामीण मतदाताओं के लिए सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था पहली प्राथमिकता है। हालांकि न तो शहरी और न ही ग्रामीण मतदाता। इन फ्रंट पर सरकार के कामकाज से खुश हैं। यहां भी सरकार को औसत से कम रेटिंग ही मिली है।

2014 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस गुजरात में मजबूत हुई है। खासकर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की स्थिति बदली नजर आ रही है। आपको बता दें कि 182 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 99 सीटें मिली थीं। तो वहीं कांग्रेस के खाते में 77 सीटें गई थीं। इसके अलावा राज्यसभा के चुनाव में भी बीजेपी को अहमद पटेल से मुंह की खानी पड़ी थी। इससे साफ है कि इस बार गुजरात (Gujarat) में लोकसभा चुनाव की जंग एकतरफा नहीं होगी।

शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का बीजेपी के प्रति मूड

एडीआर ने आम जन से जुड़े 24 प्रमुख मुद्दों को लेकर शहरी मतदाताओं के बीच एक सर्वे किया। इस सर्वे में शहरी वोटर (अर्बन वोटर) ने रोजगार, स्वास्थ्य, पानी, प्रदूषण और शिक्षा समेत तमाम मोर्चे पर मोदी सरकार (Modi Government) के कामकाज को लेकर बेहद निराशा जताई है और औसत से भी कम यानी बिलो एवरेज रेटिंग दी है। एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के सर्वे के मुताबिक शहरी मतदाताओं के लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। सर्वे में 51.60 फीसद मतदाताओं ने कहा है कि रोजगार का अवसर उनकी प्राथमिकता है और उन्होंने इस फ्रंट पर मोदी सरकार के कामकाज को पूरी तरह नकार दिया है। मोदी सरकार भले ही नई नौकरियां पैदा करने का दावा कर रही हो, लेकिन शहरी मतदाता रोजगार के मोर्चे पर सरकार द्वारा उठाये गए कदम को औसत से भी कम मानते हैं। वहीं, 39.41 फीसद मतदाताओं ने स्वास्थ्य, 37.17 फीसद मतदाताओं ने यातायात व्यवस्था, 35.03 फीसद मतदाताओं ने पीने का पानी, 34.91 फीसद मतदाताओं ने अच्छी सड़क और 34.14 फीसद मतदाताओं ने पानी और वायु प्रदूषण को अपना प्रमुख मुद्दा बताया है। इसी तरह रोजमर्रा के जीवन से जुड़े तमाम मुद्दों, जैसे- स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का पानी, सड़क, शिक्षा, अतिक्रमण और बिजली जैसे मुद्दों पर भी शहरी मतदाता सरकार के साथ नहीं खड़े हैं। इन मुद्दों पर भी 5 में से 2.64 से भी कम यानी औसत से भी कम अंक दिया है।

शहरी मतदाताओं के साथ-साथ ग्रामीण मतदाता भी सरकार के कामकाज से खुश नहीं है। एडीआर के ही सर्वे में यह बात भी सामने आई है। इस सर्वे के मुताबिक ग्रामीण मतदाताओं के लिए भी रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है और 44.21 फीसद ग्रामीण मतदाता इसके पक्ष में हैं, लेकिन उनका भी मानना है कि मोदी सरकार ने इस फ्रंट पर खास काम नहीं किया है। ग्रामीण मतदाताओं ने रोजगार के मोर्चे पर सरकार के कामकाज को 5 में से 2.17 रेटिंग दी है। यानी औसत से भी कम।