पढ़े आखिर मंदिर-मस्जिद विवाद पर क्यों उठी मध्यस्थता की बात?

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामला स्‍थायी हल के लिए मध्यस्थता के लिए सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए यह बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला, आध्‍यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्‍ठ वकील श्रीराम पंचू को मध्‍यस्‍थ नियुक्‍त किया। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम कलीफुल्ला राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे।

क्यों उठी मध्यस्थता की बात?

शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि वह अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजा जाए या नहीं इस पर आदेश देगा। साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसका मानना है कि मामला मूल रूप से तकरीबन 1,500 वर्ग फुट भूमि भर से संबंधित नहीं है बल्कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि न्यायालय को यह मामला उसी स्थिति में मध्यस्थता के लिये भेजना चाहिए जब इसके समाधान की कोई संभावना हो। उन्होंने कहा कि इस विवाद के स्वरूप को देखते हुये मध्यस्थता का मार्ग चुनना उचित नहीं होगा।

इससे पहले, फरवरी महीने में शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों को दशकों पुराने इस विवाद को मैत्रीपूर्ण तरीके से मध्यस्थता के जरिये निपटाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इससे ‘‘संबंधों को बेहतर’’बनाने में मदद मिल सकती है।

शीर्ष अदालत में अयोध्या प्रकरण में चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपील लंबित हैं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जाये।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसने क्या कहा

- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट किया है कि सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना - इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।

- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा है कि इस फैसले को हम बहुत ही अच्छी तरीके से देख रहे हैं। ये स्वागत योग्य फैसला है, इससे बड़ी खुशी की क्या बात होगी कि हम लोग समझौता कर सकें। लोगों की इच्छा यही है कि जल्द से जल्द भगवान राम का मंदिर बने।

- महंत धर्मदास ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है कि हम खुश है की कोर्ट भी चाहता है कि इस मामले में जल्‍द से जल्‍द फैसला हो। सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। हम चाहते हैं कि आज से प्रक्रिया शुरू कर दी जाए।

- जामा मस्जिद की ओर से पक्षकार हाजी महमूद ने कहा है कि अच्छी बात है मसले का जल्दी हल हो बेहतर है। इस मसले को जल्‍द से जल्‍द हल कर लिया जाए तो बेहतर होगा। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही फाइनल है।

- निर्मोही अखाड़े के महंत रामचंद्र आचार्य ने इसे शांति का मार्ग बताया है। उन्‍होंने कहा कि भाईचारे के जरिए ये काम हो तो अच्छा होगा। हम निष्पक्ष रुप से निर्णय करेंगे, हम बिल्कुल सही ओर जा रहे हैं।