पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू के खिलाफ रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सिद्धू की सजा बरकरार रहेगी या नहीं। इस मामले में हाईकोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। बता दे यह मामला 30 साल पुराना रोडरेज का है, जिसमें सिद्धू को निचली अदालत ने तो आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और तीन वर्ष कैद की सजा सुना दी थी। सिद्धू ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सिद्धू ने याचिका में कहा था कि वह निर्दोष हैं, उन्हें फंसाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 24 अप्रैल तक लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सिद्धू की तरफ से कहा गया कि इस मामले में कोई भी गवाह खुद से सामने नहीं आया, जिन भी गवाहों के बयान दर्ज किए गए है उनको पुलिस सामने लाई थी।
बता दे, सिद्धू पर 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में सड़क पर 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से तू-तू-मैं-मैं के बाद मुक्का मारने से गुरनाम की मौत का आरोप है। फिलहाल उनकी सजा पर रोक है और केस की सुनवाई जारी है। मृतक के परिजनों ने पिछली सुनवाई के दौरान सिद्धू द्वारा 2012 में एक चैनल को दिए इंटरव्यू को सबूत के तौर पर पेश किया था। इसमें सिद्धू ने स्वीकार किया था कि उनकी पिटाई से ही गुरनाम सिंह की मौत हुई थी।
पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि सिद्धू ने यह झूठ कहा था कि वह उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 30 वर्ष पुराने रोड रेज मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराए जाने का फैसला सही है। सिद्धू अभी पंजाब सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री हैं। सरकार के कोर्ट में दिए इस बयान ने सिद्धू की परेशानी बढ़ा दी थी।
पंजाब सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया था कि गुरनाम सिंह की मौत हृदयगति रुकने से हुई थी, न कि ब्रेनहैमरेज से। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलट दिया था। पंजाब सरकार के इस स्टैंड से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई थी।