नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को हरियाणा में 20 विधानसभा सीटों पर फिर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी और भाजपा के नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में नए राज्य मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने याचिका की निंदा की। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ये किस तरह की याचिकाएं हैं? उन्होंने आगे कहा, आप चाहते हैं कि एक चुनी हुई सरकार को शपथ लेने से रोका जाए? हम आपको सतर्क कर रहे हैं; हम जुर्माने के साथ मामले को खारिज कर देंगे।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 90 में से 48 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की, जबकि कांग्रेस केवल 37 सीटें ही जीत पाई। 8 अक्टूबर को नतीजों की घोषणा के बाद कांग्रेस ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया और कहा कि वे चुनाव नतीजों को स्वीकार नहीं कर सकते।
प्रिया मिश्रा और विकास बंसल की ओर से अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा द्वारा दायर याचिका में 20 विधानसभा क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ियों के बारे में चिंता जताते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने इन चिंताओं को उजागर करते हुए चुनाव आयोग को कांग्रेस के प्रतिनिधित्व का भी उल्लेख किया।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने चेतावनी दी कि याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाया जा सकता है। उन्होंने अधिवक्ता को यह भी निर्देश दिया कि यदि वह उसी दिन मामले पर बहस करना चाहते हैं तो वे कागजात प्रसारित करें।
सीजेआई ने एक संक्षिप्त आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, इस पर विचार किया गया और इसे खारिज कर दिया गया।
हालांकि, कांग्रेस ने याचिका से खुद को अलग करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया। पार्टी ने एक बयान में कहा, यह याचिका न तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और न ही एआईसीसी कानून, मानवाधिकार और आरटीआई विभाग द्वारा अधिकृत थी। याचिका भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व की जानकारी और सहमति के बिना दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं, प्रिया मिश्रा और विकास बंसल द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ता होने का दावा किए जाने के बाद स्पष्टीकरण जारी किया गया। हालांकि, कांग्रेस ने जोर देकर कहा कि उसका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।