सुप्रीम कोर्ट का आदेश - मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए

देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्या और उन पर आई विपत्ति को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई और शीर्ष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मजदूरों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे। कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें मजदूरों का किराया देंगी और उनको घर पहुंचाने की व्यवस्था करेंगी। आदेश में कहा गया है, 'जो जहां फंसा है उसे वहां की राज्य सरकार भोजन दे। उन तक जानकारी पहुंचाई जाए कि मदद कहां उपलब्ध है।'

सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में कहा कि जिस राज्य से प्रवासी मजदूर चलेंगे वहां स्टेशन पर उनके भोजन और पानी का इंतजाम किया जाएगा। राज्य प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण की देखरेख करेगा और यह सुनिश्चित करने के लिए कि पंजीकरण के बाद, वे एक प्रारंभिक तिथि पर ट्रेन या बस में चढ़े। पूरी जानकारी सभी संबंधित लोगों को बताया जाएगा। बेंच ने साफ किया कि वह केंद्र सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर रही है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हर रोज करीब 3।36 लाख प्रवासियों को उनके राज्यों में पहुंचाया जा रहा है। सरकार ऐसे सभी प्रवासियों को उनके घर पहुंचाएगी। सॉलिसीटर ने कहा कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। उन्हें बार बार मीडिया में दिखाया गया। ऐसा नहीं कि सरकार कदम नहीं उठा रही है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि सरकार कुछ नहीं कर रही। लेकिन ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंच नहीं पा रही है।