उच्चतम न्यायालय ने कनार्टक विधानसभा में शनिवार को चार बजे शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया है। जस्टिस सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबडे की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार शाम चार बजे विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया। न्यायालय ने राज्य की भाजपा सरकार की गुप्त मतदान की केंद्र सरकार की मांग खारिज कर दी। इस फैसले के बाद बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए अब 14 दिनों का समय नहीं मिलेगा। सबसे पहले बीजेपी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को वह लेटर उपलब्ध कराया गया जिसे येदियुरप्पा की तरफ से राज्यपाल को भेजा गया था।
न्यायालय ने कहा कि सबसे पहले विधानसभा का अस्थायी अध्यक्ष (प्रो-टेम स्पीकर) नियुक्त किया जायेगा। कल चार बजे से पहले सभी विधायकों को शपथ दिलायी जाएगी और चार बजे शक्ति परीक्षण होगा। विश्वास मत की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं करायी जायेगी। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरान बी एस येदियुरप्पा सरकार न तो कोई नीतिगत फैसला लेगी और न ही एंग्लो-इंडियन व्यक्ति को विधानसभा में सदस्य मनोनीत करेगी।
बता दे, बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से बहुमत परीक्षण के लिए सोमवार तक का वक्त मांगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने देने से इनकार कर दिया। कांग्रेस की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी हो और विधायकों को सुरक्षा मिलनी चाहिए ताकि वह वोट कर सकें। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा में एंग्लो-इंडियन सदस्य की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी है।
न्यायालय ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को सभी विधायकों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने बहुमत के लिए जरूरी विधायकों के न होने के बावजूद किसी एकल बड़ी पार्टी को राज्यपाल द्वारा आमंत्रित किये जाने के मुद्दे पर 10 सप्ताह बाद सुनवाई करने का फैसला लिया है।