सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनल के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, कहा - 'राजनीतिक बदले की कार्रवाई'

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उचित लाइसेंस की कमी के आधार पर पावर टीवी के प्रसारण को रोकने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। टीवी चैनल ने जद (एस) नेता प्रज्वल और सूरज रेवन्ना के खिलाफ सेक्स स्कैंडल के आरोपों का विस्तृत प्रसारण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह ‘सरासर राजनीतिक प्रतिशोध’ के अलावा कुछ नहीं है। वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह रिकॉर्ड से बाहर नहीं है क्योंकि 9 फरवरी का कारण बताओ नोटिस चैनल द्वारा अपने अपलिंक और डाउनलिंकिंग लाइसेंस को सबलेट करने से संबंधित था। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार तक रोक लगा दी और कहा कि वह मामले की सुनवाई सोमवार को करेगा।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'हमें बोलने की आजादी के अधिकार की पूरे जोश के साथ रक्षा करनी चाहिए। इस मामले में जितना अधिक हम दलीलें सुनते हैं, हमारा यही मानना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है। चैनल ने सेक्स स्कैंडल को बड़े पैमाने पर कवर किया, इसलिए इसे ब्लॉक कर दिया गया। यह सरासर राजनीतिक प्रतिशोध है। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए इच्छुक हैं। यह राजनीतिक प्रतिशोध का एक साफ मामला लगता है।अदालत ने पावर टीवी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह रिकॉर्ड से पुष्ट नहीं है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार तक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। इसने मामले की सुनवाई सोमवार को तय की। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पावर टीवी को 9 जुलाई तक कोई भी प्रसारण गतिविधि करने से रोक दिया था। न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार ने वरिष्ठ सेवारत आईपीएस अधिकारी डॉ बीआर रविकांतेगौड़ा और जेडीएस नेता और एमएलसी एचएम रमेश गौड़ा और उनकी पत्नी डॉ ए राम्या रमेश द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 25 जून को अंतरिम आदेश पारित किया था।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि टेलीविजन चैनल और अन्य निजी प्रतिवादियों के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा पहले से ही कार्रवाई शुरू किए जाने के बावजूद, उन्होंने बिना किसी जरूरी लाइसेंस नवीनीकरण के प्रसारण जारी रखा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि एक शिकायत पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि पावर टीवी के लिए अनुमति 12 अक्टूबर, 2021 तक वैध थी। वहीं 30 दिसंबर, 2022 की तारीख वाले इसके नवीनीकरण आवेदन की जांच की जा रही थी।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब उसे पता चला कि हाई कोर्ट में चैनल के खिलाफ रिट याचिकाएं जेडीएस के दो पदाधिकारियों ने दायर की थीं। एसजी के विरोध के बाद, पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर सोमवार तक रोक लगा दी और कहा, 'हमें राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। हम कानून के अनुसार ही कड़ाई से आगे बढ़ेंगे।'

टीवी चैनल की ओर से पेश हुए सीनियर वकील रंजीत कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट के पास चैनल द्वारा समाचारों और अन्य कार्यक्रमों के प्रसारण को निलंबित करने का कोई आधार नहीं था। उन्होंने कहा कि चैनल द्वारा कथित तौर पर प्रज्वल और सूरज रेवन्ना से जुड़े सेक्स स्कैंडल को बड़े पैमाने पर दिखाए जाने के बाद याचिकाकर्ता हाई कोर्ट का दरवाजा पहुंचे थे।

हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ताओं, चैनल और केंद्र के वकील की दलीलें सुनीं और पावर टीवी को प्रसारण बंद करने का आदेश दिया। चैनल ने समाचार प्रसारण बंद कर दिया और 'सत्यमेव जयते' संदेश के साथ एक खाली स्क्रीन प्रसारित करना शुरू कर दिया।