इंदिरा गांधी के 9 सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार

इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी (जन्म- 19 नवम्बर, 1917 इलाहाबाद - मृत्यु- 31 अक्टूबर, 1984 दिल्ली) न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गईं। श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म नेहरू ख़ानदान में हुआ था। इंदिरा गाँधी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। आज इंदिरा गाँधी को सिर्फ़ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गाँधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गाँधी को 'लौह-महिला' के नाम से संबोधित किया जाता है।आइये जाने उनके कुछ अनमोल विचार

*लोग अपने अधिकारों को तो याद रखते हैं, लेकिन कर्तव्यों को भूल जाते हैं

*अगर मेरी हिंसक मौत होती हैं, तो वो हत्यारों के विचार और कर्म में हिंसक होगी मेरे मरने में नहीं

*क्रोध हमेशा तर्क के साथ आता हैं और बहुत कम बार अच्छे तर्क के साथ

*आपको प्रयास करने में संतुष्टि मिलनी चाहिए न कि कुछ प्राप्त होने पर

*खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका हैं कि हम दूसरों की सेवा में समर्पित हो जाएँ

*आप बंद मुट्ठी से हाथ नहीं मिला सकते|

*आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना और विश्राम के समय क्रियाशील रहना सीख लेना चाहिए।

*शहादत कुछ ख़त्म नहीं करती , वो महज़ शुरआत है

*क्षमा वीरों का गुण है।