करुणानिधि 14 साल की उम्र में हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़े, हाथ से लिखकर निकाला था अखबार

देश और तमिलनाडु की राजनीति में एम. करुणानिधि एक बड़ा नाम था। छह दशकों से ज्यादा समय तक राजनीति में सक्रिय रहने वाले करुणानिधि ने अपने राजनीतिक फैसलों से देश और तमिलनाडु की सियासत को दूर तक प्रभावित किया। राजनीति के उतार-चढ़ावों से करुणानिधि ने कभी हार नहीं मानी। राजनीतिक संघर्षों ने उन्हें और ताकत दी। महज 14 साल की उम्र में हिंदी विरोध के साथ राजनीति में कदम रखने वाले मुथुवेल करुणानिधि का 8 अगस्त को शाम 6:10 बजे निधन हो गया। अपने 80 साल के करियर में वे कभी भी कोई चुनाव नहीं हारे। वे तमिल फिल्मों में नाटककार और पटकथा लेखक भी थे। उनका जन्म 3 जून, 1924 को तिरुवरूर जिले के तिरुकुवालाई गांव में हुआ था। उन्होंने 3 शादियां कीं। पहली पत्नी का नाम पद्मावती, दूसरी का दयालु और तीसरी का रजति है। पद्मावती का देहांत हो चुका है। उनके 4 बेटे एमके मुथु, एमके अलागिरी, एमके स्टालिन, एमके तमिलारासु और दो बेटियां एमके सेल्वी और कनिमोझी हैं।

अन्नादुरई के निधन के बाद संभाली डीएमके की कमान

- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को हुआ। डीएमके की स्थापना सीएन अन्नादुरई ने की थी।
- 1969 में अन्नादुरई के निधन के बाद से करुणानिधि ने डीएमके का नेतृत्व किया।
- तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके करुणानिधि छह दशक से ज्यादा समय तक राजनीति में सक्रिय रहे।
- तमिलनाडु के दिग्गज नेता करुणानिधि कभी अपनी सीट पर चुनाव नहीं हारे।
- डीएमके चीफ की प्रतिभा केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने तमिल सिनेमा के लिए पटकथाएं भी लिखीं।
- करुणानिधि अपने प्रशंसकों और समर्थकों के बीच 'क्लैगनार' के नाम से मशहूर हैं।

हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़े, हाथ से लिखकर अखबार निकाला

- जस्टिस पार्टी के अलागिरीस्वामी के भाषण से प्रभावित होकर करुणानिधि ने राजनीतिक जीवन में कदम रखा, तब उनकी उम्र 14 साल थी। वे हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़े।
- उन्होंने स्थानीय स्तर पर युवाओं को इकट्ठा किया और हाथ से लिखकर 'मानवर निशान' नाम का समाचार पत्र निकालना शुरू किया।
- उन्होंने 20 साल की उम्र में ज्यूपिटर पिक्चर्स में पटकथा लेखक के रूप करियर शुरू किया। उनकी पहली ही फिल्म 'राजकुमारी' काफी लोकप्रिय हुई।
- करुणानिधि के नाटकों और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने के दौरान ही जस्टिस पार्टी के पेरियार इरोड वेंकटप्पा रामासामी और सीएन अन्नादुरई की नजर उन पर पड़ी।
- उन्होंने करुणानिधि को पार्टी की पत्रिका 'कुदियारासु' का संपादक बना दिया। हालांकि, 1947 में पेरियार और अन्नादुरई में मतभेद हुए।
- 1949 में अन्नादुरई ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) का गठन किया। करुणानिधि अन्नादुरई के साथ रहे। उन्होंने 'मुरासोली' नाम का अखबार भी निकालना शुरू किया, जो बाद में द्रमुक का मुखपत्र बना।