मध्यप्रदेश : ब्लैक फंगस के मरीजों में इंजेक्शन से हुए साइडइफेक्ट, लगाते ही ठंड से कांपने लगे रोगी

मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस का कहर बढ़ता जा रहा हैं जहां हर दिन कई रोगी सामने आ रहे हैं। ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए कई इंजेक्शन की जरूरत पड़ती हैं। लेकिन प्रदेश में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जहां ब्लैक फंगस से जूझ रहे मरीजों को जब एंफोटेरिसिन-बी (amphotericin b) इंजेक्शन लगाया गया तो साइडइफेक्ट देखने को मिले और इंजेक्शन लगते ही मरीज ठंड से कांपने लगे। मरीजों में तेज बुखार और उल्टी की भी शिकायत सामने आई हैं। प्रदेश के इंदौर, सागर और जबलपुर में इंजेक्शन के ये साइड इफेक्ट देखने को मिले। साइड इफेक्ट देखते हुए सागर के मेडिकल कॉलेज ने इंजेक्शन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भी इसी इंजेक्शन से 60 मरीजों की हालत खराब हो गई। जानकारी के मुताबिक दो वार्डों मे भर्ती इन मरीजों को इंजेक्शन लगने के 10 मिनट बाद तेज कंपकंपी, बुखार, उलटी और घबराहट होने लगी। इसके बाद मरीजों को एंटी-रिएक्शन दवा दी गई और उन्हें राहत मिली।

मरीजों को इतनी जोरदार ठंड लग रही थी कि 6 कंबल भी काम नहीं आ रहे थे। इंदौर में महाराजा यशवंतराव हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने बताया कि ब्लैक फंगस का इंजेक्शन लगने के बाद 40 फीसदी मरीजों में साइड इफेक्ट देखे गए। इस पर नजर रखी जा रही है। दो या तीन डोज देने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यहां कई मरीजों को उल्टी, चक्कर और शरीर में झुनझुनी जैसे साइट इफेक्ट हो रहे हैं।

मरीजों को इतनी जोरदार ठंड लग रही थी कि 6 कंबल भी काम नहीं आ रहे थे। इंदौर में महाराजा यशवंतराव हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने बताया कि ब्लैक फंगस का इंजेक्शन लगने के बाद 40 फीसदी मरीजों में साइड इफेक्ट देखे गए। इस पर नजर रखी जा रही है। दो या तीन डोज देने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यहां कई मरीजों को उल्टी, चक्कर और शरीर में झुनझुनी जैसे साइट इफेक्ट हो रहे हैं।

गौरतलब है कि सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में फिलहाल 27 मरीज हैं, जो ब्लैक फंगस का इलाज करा रहे हैं। बताया जाता है कि इनमें से 27 मरीजों को एंफोटेरिसन-बी इंजेक्शन दिया गया। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन ने इंजेक्शन के साइड इफेक्ट की जानकारी लगते ही इस पर रोक लगा दी। मेडिकल कॉलेज के मैनेजमेंट ने बताया कि मरीजों पर इंजेक्शन का रिएक्शन दिखाई दिया। अब उन्हें इंजेक्शन की जगह दूसरी दवाइयां दी जा रही हैं।