शिवसेना ने कंगना के साथ विवाद में अक्षय को भी घसीटा, 'सामना' में लिखी ये बात

शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के जरिए एक बार फिर कंगना रनौत पर हमला बोला है। एक्ट्रेस पर मुंबई के अपमान का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि कंगना ने मुंबई पुलिस की तुलना बाबर से की, शहर को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर बताया, लेकिन फिर भी बॉलीवुड का एक तबका इस पर चुप्पी साधे बैठा रहा। उस तबके ने ये एक बार भी स्पष्ट नहीं किया कि कंगना के विचार पूरे बॉलीवुड के विचार नहीं है। सामना में लिखा है कि कम-से-कम अक्षय कुमार आदि बड़े कलाकारों को तो सामने आना ही चाहिए था। मुंबई ने उन्हें भी दिया ही है। महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को एक हो जाना चाहिए। ऐसा ये मुश्किल दौर आ गया है।

अक्षय कुमार को मुंबई ने काफी कुछ दिया

सामना में लिखा गया है कि अक्षय कुमार को मुंबई ने काफी कुछ दिया है। उन्होंने इस सपनों के शहर में अपार सफलता पाई है, लेकिन फिर भी उन्होंने कंगना के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला। मुंबई का अपमान होता रहा लेकिन उन्होंने इसका विरोध नहीं किया। वे लिखते हैं- संपूर्ण नहीं, कम-से-कम आधे हिंदी फिल्म जगत को तो मुंबई के अपमान के विरोध में आगे आना ही चाहिए था। कंगना का मत पूरे फिल्म जगत का मत नहीं है, ऐसा कहना चाहिए था। कम-से-कम अक्षय कुमार आदि बड़े कलाकारों को तो सामने आना ही चाहिए था

शिवसेना ने सामना में लिखा, 'महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को ग्रहण लगाने का प्रयास एक बार फिर शुरू हो गया है। ये ग्रहण ‘बाहरी’ लोग लगा रहे हैं। लेकिन इन्हें मजबूत बनाने के लिए परंपरा के अनुसार हमारे ही घर के भेदी आगे आए हैं। बीच के दौर में मुंबई को पाकिस्तान कहा गया। मुंबई का अपमान करने वाली एक नटी (अभिनेत्री) के अवैध निर्माण पर महानगरपालिका द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद मनपा का उल्लेख ‘बाबर’ के रूप में किया गया। मुंबई को पहले पाकिस्तान बाद में बाबर कहने वालों के पीछे महाराष्ट्र कि भारतीय जनता पार्टी खड़ी होती है, इसे दुर्भाग्य ही कहना होगा।'

शिवसेना ने कंगना विवाद के बहाने पूरे बॉलीवुड पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके मुताबिक जब भी मुंबई का अपमान होता है, कोई इस शहर का बलात्कार करता है, तब ये सितारे गर्दन झुका बैठ जाते हैं। वे उस अपमान के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलते हैं। लेख में लिखा है- दुनियाभर के रईसों के घर मुंबई में हैं। मुंबई का जब अपमान होता है ये सब गर्दन झुकाकर बैठ जाते हैं। मुंबई का महत्व सिर्फ दोहन व पैसा कमाने के लिए ही है। फिर मुंबई पर कोई प्रतिदिन बलात्कार करे तो भी चलेगा। इन सभी को एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि ‘ठाकरे’ के हाथ में महाराष्ट्र की कमान है। इसलिए सड़क पर उतरकर भूमिपुत्रों के स्वाभिमान के लिए राड़ा वगैरह करने की आवश्यकता आज नहीं है।