RSS नेता हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने PFI सदस्यों को मिली जमानत के खिलाफ NIA की याचिका खारिज की

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें केरल के पलक्कड़ में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 17 सदस्यों को दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी।

यह मामला जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष आया। पीठ ने कहा कि केरल हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को एक वर्ष हो चुका है, और यदि आरोपितों ने शर्तों का उल्लंघन किया है तो हाई कोर्ट को जमानत रद्द करने का अधिकार है।

एनआईए की दलील और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान एनआईए के वकील ने दलील दी कि आरोपी जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर चुके हैं और उन्होंने गवाहों से संपर्क किया है, इसलिए जमानत रद्द की जानी चाहिए।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता विशेष अदालत में जाकर जमानत रद्द करने की मांग कर सकते हैं। इसलिए याचिकाकर्ताओं को विशेष अदालत का रुख करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, असल में, विशेष अदालत ही इस मामले के लिए अधिक उपयुक्त मंच है।

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस समय विशेष अनुमति याचिकाएं स्वीकार नहीं कर रही है और एजेंसी को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वह विशेष अदालत या हाई कोर्ट में पुनः आवेदन दे सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि विशेष अदालत या हाई कोर्ट में भी याचिका खारिज होती है, तो याचिकाकर्ताओं के पास अन्य कानूनी विकल्प खुले रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जब जमानत रद्द करने की अर्जी दी जाए, तो संबंधित अदालत इस बात से प्रभावित न हो कि सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका खारिज की है।

पृष्ठभूमि: हत्या, आरोप और जांच

बता दें कि आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवासन की 16 अप्रैल 2022 को हत्या कर दी गई थी। इस मामले में प्रारंभ में 51 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और सात अब भी फरार हैं। केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी थी।

इन 17 आरोपियों को जून 2024 में केरल हाई कोर्ट ने जमानत दी थी। उन पर केवल हत्या ही नहीं, बल्कि राज्य और देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का भी आरोप है।