राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ दौरे को लोकसभा चुनावों के मद्देनजर युवाओं को अपनी जुमलेबाजी के भ्रमजाल में फंसाने का तरीका करार दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि प्रधानमंत्री एक बार फिर अपनी जुमलेबाजी और कुछ गिने-चुने उद्योगपतियों के माध्यम से देश के युवाओं को भ्रमजाल में फंसाने का कुचक्र रचने के लिए ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ पधारे। प्रदेश में मोदी का नाम और योगी का काम प्रचारित करके युवा वर्ग को लॉलीपाप दिखाकर फिर केंद्र की सत्ता प्राप्ति का सपना देखा जा रहा है।
डॉ. अहमद ने कहा कि प्रधानमंत्री का काफिला लखनऊ के बाहर शहीद पथ से ही गया और उसी मार्ग से वापस हुआ। इस खातिर लखनऊ भर के हजारों ठेले-खोमचे वालों को तीन दिन पहले ही रोजी-रोटी कमाने से रोक दिया गया। क्या यही गरीबों की रहनुमाई और वीपीआई कल्चर की समाप्ति है?
उन्होंने कहा कि उद्योगों की नींव डालने का मतलब यह नहीं है कि तत्काल बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध हो जाएगा। सच तो यह है कि उद्योग शुरू होने में कई वर्ष लगेंगे और रोजगार के कितने पद सृजित होते हैं यह भी अंधकार में रहेगा। ऐसा भी संभव है कि लोकसभा चुनाव के बाद उद्योगों की स्थापना रुक जाए और बेरोजगार फिर अपने को ठगा महसूस करें। जिस तरह 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले दो करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार देने का वादा करके सत्ता हासिल की गई और बाद में कहा गया कि वह तो चुनावी जुमला था।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह सरकार और उसके नेता जुमलेबाज और धोखेबाज के अलावा गरीबों और मजदूरों के प्रति केवल घड़ियालू आंसू बहाने वाले हैं। अगले चुनाव में इन लोगों को जैसा बोया है, वैसा ही काटने को मिलेगा।