राजस्थान : खेल दर्शन को अनिवार्य विषय बनाने पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने मांगे सुझाव

जयपुर । राजस्थान के राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति कल्याण सिंह ने खेलों को विश्वविद्यालय शिक्षा से जोड़ने की पहल की है। विश्वविद्यालय शिक्षा में ‘खेल दर्शन‘ को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की राज्यपाल सिंह की सोच है। राज्य सरकार एवं प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से राज्यपाल श्री सिंह ने इस सम्बन्ध में सुझाव मांगे हैं।

राज्यपाल सिंह ने गत चार जून को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ’’खेलो इण्डिया मिशन’’ के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को सक्रिय रूप से खेलों से जोड़ने का सुझाव दिया था। उन्होंने राज्य में खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ ‘खेल दर्शन‘ को एक अनिवार्य सब्सिडरी विषय के रूप में नियमित पाठ्यक्रमों में शामिल किये जाने हेतु प्रस्ताव भी दिया।

सिंह का मानना है कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किये गये ’’खेलो इण्डिया मिशन’’ का विजन देश में खेलों के प्रति वातावरण का निर्माण करेगा। उन्होंने राज्य में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत बताई है। राज्यपाल श्री सिंह ने कहा है कि खेल युवाओं के लिए आवश्यक हैं। शिक्षा में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से कुछ युवा अवसाद की जकड़ में आ रहे हैं। युवाओं को अवसाद से मुक्त कराने में खेल दर्शन महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस कार्य में विश्वविद्यालयों को आगे आना होगा। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं खेलों में प्रतिभाग करे। खेलों के मर्म को समझे।

कुलाधिपति ने कहा है कि विश्वविद्यालय शिक्षा में खेल दर्शन को सभी संकाय के पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय के रूप में सम्मिलित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे युवा पीढ़ी खेलों के महत्व को समझेगी। युवाओं को जीवन में खेलों का लाभ भी मिल सकेगा। खेलों से शारीरिक और मानसिक विकास तो होता ही है।

सिंह की इच्छा के अनुरूप राज्यपाल सचिवालय द्वारा सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व राज्य सरकार को इस विषय पर अपने विचार रखने और आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र प्रेषित किये गये हैं।