बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल का हाल कोटा से भी बुरा, दिसंबर में 162 बच्चों की हुई मौत!

राजस्थान में कोटा के जे के लोन हॉस्पिटल में जहां एक तरफ 110 बच्चो की मौत का मामला गरमाया हुआ है वही बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल में अकेले दिसंबर महीने में 162 बच्चों की मौत हुई है। बताया जा रहा है कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीएमबी में बीते महीने में 2200 बच्चों को भर्ती कराया गया, इनमें से इलाज के दौरान 162 मासूमों ने दम तोड़ दिया। इनमें से कई बच्चों का जन्म इसी अस्पताल में तो कुछ बच्चे बाहर से भर्ती हुए थे। 220 बैड के पीबीएम हॉस्पिटल में 140 बैड जनरल वार्ड के हैं, वहीं 72 बैड नियोनेटल केयर यूनिट (NICU) हैं और सबसे ज्यादा मौत इन्हीं बच्चों की हुई है।

उधर, राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में अब तक 110 बच्चों की मौत हो चुकी है। केवल दिसंबर महीने के आखिरी दो दिन- 30 और 31 दिसंबर को अस्पताल में आठ बच्चों ने दम तोड़ दिया था। अकेले दिसबंर में यहां 100 बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं, 23 और 24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत के बाद अस्पताल का बुरा हाल सुर्खियों में आया। हालांकि अस्पताल के अधिकारियों की दलील है कि वर्ष 2018 में यहां 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं। अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार, अधिकतर शिशुओं की मौत मुख्यत: जन्म के समय कम वजन के कारण हुई थी।

जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद राजस्थान के साथ-साथ देश की राजनीतिक भी गर्मा गई है। बीजेपी गहलोत सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी के शासन में इससे भी ज्यादा बच्चों की मौतें हुई थीं। शुक्रवार को अस्पताल के दौरे पर आए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ। रघु शर्मा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के हालिया बयानों को सुनकर तो ऐसा ही लग रहा है। कांग्रेस के जिला प्रभारी और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने मीडिया से कहा, 'हमारा मानना है कि मौतों को नियंत्रित करना अस्पताल, डॉक्टरों और नर्सों की ज़िम्मेदारी है। यदि उपकरण की कमी थी, तो आपको इसे खरीदना चाहिए था। इसे खरीदने के लिए आपके पास लगभग साथ 6 करोड़ थे और इतने उपकरणों की तो जरूरत भी नहीं थी।'