पिछले काफी समय से राफेल सौदे Rafale Deal को लेकर सरकार और विपक्ष में तकरार जारी है। शुक्रवार को एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी Rahul Gandhi ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi पर राफेल डील को लेकर ताजा हमला किया। उन्होंने कहा कि दसॉ के सीईओ इस पूरे मामले पर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि घाटे वाली कंपनी में 284 करोड़ रुपये क्यों दिए गए। उन्होंने कहा, "आठ लाख की कंपनी में 284 करोड़ रुपये का निवेश करना मुझे समझ में नहीं आता है। दसॉ के पैसे से जमीन खरीदी गई। दसॉ कंपनी को मोदी सरकार बचा रही है। हमारा काम केवल देश को सच बताना है।" राहुल गांधी ने कहा कि अगर राफेल की जांच शुरू हो जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि राफेल 'ओपन एंड शट' केस है, यह साफ-साफ PM मोदी और अनिल अंबानी की साझीदारी का मामला है।
राहुल गांधी ने दावा किया कि राफेल सौदे में जांच होने पर कार्रवाई के डर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'रातों की नींद उड़' गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह राफेल सौदे की जांच करना चाहते थे। उन्होंने आगे कहा कि कीमत पर सवाल उठ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कीमतों की जानकारी मांगी है और सरकार कह रही है कि नहीं बता सकते, क्योंकि ये गोपनीय है। लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति ने साफ तौर पर कहा है कि राफेल की कीमत गोपनीय समझौते का हिस्सा है ही नहीं। राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार हुआ है और वो साफ दिख रहा है। 284 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की पहली किश्त साफ तौर पर साबित हो गयी है।
राहुल गांधी ने कहा, "सीईओ ने कहा था कि एचएएल को दरकिनार कर अनिल अंबानी को कांट्रेक्ट देने का कारण था जमीन। अब बात सामने आ रही है कि 284 करोड़ से जमीन खरीदी गई है। मतलब डेसाल्ट के सीईओ साफ झूठ बोल रहे हैं।" उन्होंने कहा कि ये क्लियर कट केस ऑफ करप्शन है। बहुत जल्द सच बाहर आएगा।
गौरतलब है कि राफेल फाइटर जेट को लेकर चल रहे विवाद के बीच दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा है कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस के साथ समझौता करने का फैसला उनका था। NEWS 18 से खास बातचीत में ट्रैपियर ने कहा कि राफेल को लेकर रिलायंस के साथ पहला समझौता फरवरी 2012 में हुआ था। इसके बाद रिलायंस के साथ भारत में पार्टनरशिप करने का फैसला किया गया। बता दें कि दसॉ एविएशन ही राफेल जेट का निर्माण करती है।
क्या है राफेल डील?राफेल फाइटर जेट डील भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच सितंबर 2016 में हुई। भारतीय वायुसेना को 36 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मिलेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सौदा 7।8 करोड़ यूरो (करीब 58,000 करोड़ रुपये) का है। सितंबर 2019 में पहला राफेल भारत पहुंचेगा।
एनडीए और यूपीए सरकार के दौरान मूल्य में कितना फर्क?कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार के दौरान एक राफेल फाइटर जेट की कीमत 600 करोड़ रुपये तय की गई थी। मोदी सरकार के दौरान एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने राफेल सौदे में विमानों की संख्या घटाकर वायुसेना की ताकत कम की, भ्रष्टाचार करके देश के खजाने को नुकसान पहुंचाया, देश के युवाओं का रोज़गार छीना। फायदा सिर्फ उनको और उनके करीबी पूंजीपतियों को हुआ।