पंजाब: 'तनखैया' घोषित होने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल के फिर से अध्यक्ष चुने गए सुखबीर बादल

पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) का फिर से अध्यक्ष चुना गया है। पार्टी के संगठनात्मक चुनावों के दौरान पार्टी के सदस्यों द्वारा चुने गए अकाली दल के लगभग 500 प्रतिनिधियों ने शनिवार को सर्वसम्मति से सुखबीर बादल को पार्टी प्रमुख चुना। बादल ने चार महीने पहले पद से इस्तीफा दे दिया था। 68 वर्षीय बादल पहली बार 2008 में पार्टी अध्यक्ष चुने गए थे।

शिअद के चुनाव अधिकारी गुलजार सिंह रानिके ने अमृतसर में श्री दरबार साहिब परिसर के तेजा सिंह समुंदरी हॉल में आयोजित एक सत्र में बादल के नाम की घोषणा नए अध्यक्ष के रूप में की।

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष चुने जाने पर सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ... मैं सभी पंजाबियों, खालसा पंथ और एसएडी के सभी सदस्यों का शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने मुझे सेवा करने का मौका दिया। मैं पंजाब के लोगों से वादा करता हूं कि हम पंजाब को फिर से नंबर 1 बनाएंगे... हमारे गुरुओं ने हमें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया है... मैं सभी धर्मों के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पंजाब आपका राज्य है...

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, पंजाब के विकास पुरुष सुखबीर सिंह बादल को शिरोमणि अकाली दल का अध्यक्ष बनने पर बधाई। सुखबीर सिंह बादल पंथ और पंजाब के अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करें और पंजाब को फिर से समृद्ध बनाएं।

बादल का पुनः निर्वाचन, शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और उसकी सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई गलतियों के लिए अकाल तख्त द्वारा उन्हें 'तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किए जाने के बाद उनके पद छोड़ने के बमुश्किल चार महीने बाद हुआ है।

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष ने बादल के नाम का प्रस्ताव रखा

उनके नाम का प्रस्ताव पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदर ने रखा, जबकि पार्टी नेता परमजीत सिंह सरना और महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने इसका समर्थन किया। इस सत्र में बादल की पत्नी और बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल, पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और दलजीत सिंह चीमा समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

बादल का इस्तीफा जनवरी 2025 में स्वीकार किया गया

बादल ने पिछले साल दिसंबर में शिअद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे इस साल जनवरी में पार्टी की कार्यसमिति ने स्वीकार किया। 30 अगस्त को अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 2007 से 2017 तक शिअद और उसकी सरकार द्वारा की गई गलतियों के लिए बादल को 'तनखैया' घोषित किया।