पंजाब पुलिस की बड़ी लापरवाही, सतलुज नदी में बहाई कच्ची शराब, जहरीले पानी से मर रही मछलियां

लंबे समय से सतलुज नदी में बनी गंदगी परेशानी का कारण बनी हुई हैं जिसकी सफाई के लिए कई एनजीओ और अन्य लोग लंबे समय से जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में पंजाब पुलिस की बड़ी लापरवाही देखने को मिली हैं क्योंकि उनके द्वारा सतलज नदी के किनारे शराब की कच्ची भट्टियों से 3.58 लाख किलो लाहन बरामद किया जिसे नदी में बहा दिया गया। इससे कई गांवों के साथ लगता पानी जहरीला हो गया है और मछलियां मरकर किनारे आने लगी हैं। पानी में झाग भी दिखने लगा है। यह शराब अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुई थी और जहरीली थी। इस कारण पानी भी जहरीला होने लगा है। आसपास के गांवों में दहशत फैलने लगी है।

संत सीचेवाल व अन्य पर्यावरण प्रेमी सतलुज के पानी को लेकर जंग लड़ रहे हैं। वहीं पुलिस ने शराब माफिया के साथ जंग में पर्यावरण की हालत खस्ता कर दी है। सतलुज नदी के किनारे मंडाला छन्ना, पिपली व भगवां इलाके में किनारे पर मरी मछलियां तड़पती दिख रही हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष उठाया मामला

संत सीचेवाल पर्यावरण प्रेमी और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल का कहना है कि सतलुज नदी में पुलिस द्वारा कच्ची शराब डालना गैरकानूनी है। इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की निगरानी कमेटी में उठाया गया है और जल्द ही मामला प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की बैठक में भी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में एनजीओ और अन्य लोग सतलुज नदी को साफ रखने की जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में कच्ची शराब को नदी में डालना एक अपराध है।

पहले ही बदतर है सतलुज की हालत

सतलुज की स्थिति पहले भी कोई अच्छी नहीं है। किनारे के शहरों और औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषित पानी नदी में जाने से यह गंदी होती जा रही है। लुधियाना से आगे के भाग की हालत सबसे खराब है। लुधियाना में करीब 300 बड़े और मध्यम दर्जे के उद्योग और करीब 50 हजार लघु उद्योग इकाइयां हैं। इनमें इलेक्ट्रो प्लेटिंग, रंगाई और कई तरह के रासायनिक उद्योग शामिल हैं। इनका प्रदूषित जल लुधियाना के बीच से बहते बुड्ढा नाला में डाल दिया जाता है।