गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ (CRPF) के जिस काफिले पर आतंकी हमला किया गया था, उसमें बचने वाले जवानों ने रूटीन बैठक में हिस्सा लिया। लेकिन वे अपने 40 साथियों के चले जाने के दुख से उभर नहीं पा रहे है। बता दे, सीआरपीएफ की 78 गाड़ियों का काफिला गुरुवार तड़के जम्मू से चली थी। लेकिन श्रीनगर से 30 किलोमीटर पहले विस्फोटक सामग्री से भरी कार काफिले में लाकर घुसा दी गई। विस्फोट इतना तगड़ा था कि दो किलोमीटर दूर तक खिड़कियों के शीशे टूट गए। जवानों के शरीर के अंग और गाड़ी का मलबा एक किलोमीटर दूर तक फैला हुआ था। इस घटना पर पीएम मोदी ने सीधे तौर पर कहा है कि आतंकी बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं और अब उन्हें इसका अंजाम भी भूगतना होगा।
इस दर्दनाक पलों को याद करते हुए जसविंदर पाल ने बताया कि 'जवानों के शरीर के अंग 500 से 600 मीटर दूर तक उड़ कर चले गए थे।' उस मलबे में पाल के दोस्त मनिंदर सिंह भी थे, यह बात करते हुए उनके मुंह से बड़ी मुश्किल से शब्द बाहर निकल रहे थे। कांस्टेबल मनिंदर सिंह उसी बस में सवार थे, जिसे जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने अपनी कार से टक्कर मारी थी। सिंह अन्य जवानों के साथ उस हमले में शहीद हो गए।
पाल ने बताया, 'हम केवल दो गाड़ी पीछे ही थे।' पंजाब के रहने वाले जवान अपने दोस्त को याद करके रोने लगे और कहा, 'यह बहुत बड़ा विस्फोट था। मैं इसे नहीं भूल पाऊंगा।' हमले में बचने वाले दूसरे जवान दानिश चंद कुछ दूरी पर बुलैटप्रूफ वाहन में सवार थे। उन्होंने याद करते हुए कहा बताया कि उन्हें यह पता नहीं लग पा रहा था कि हमलावर ने हमला कहां किया है। हमले की खबर के बाद उनके घरवाले परेशान थे। दानिश चंद ने बताया, 'चारों तरफ दहशत का माहौल था। घर पर परिजनों को हमले के बारे में पता चला, वे डर गए। मेरे एक भाई भी सीआरपीएफ में हैं। उन्होंने किसी भी तरह मुझसे बात की और परिवार वालों को बताया कि मैं सुरक्षित हूं।'
वायरलैस सेट पर तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर किशोर लाल ने कहा कि वह जख्मी जवानों की चीख सुन रहे थे। हमले के बाद पूरा काफिला वहां तीन घंटे तक अटका रहा, उसके बाद उसे श्रीनगर के लिए रवाना किया गया।
वही इसी बीच रविवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर की जनता पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक कश्मीर मुद्दे का राजनीतिक समाधान नहीं निकलता तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। अब्दुल्ला ने घाटी के बाहर कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों पर कथित हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आम आदमी की हमले में कोई भूमिका नहीं है जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने जम्मू में फंसे कश्मीरी लोगों के एक समूह को संबोधित कर रहे थे जो शुक्रवार को शहर में कर्फ्यू लगने के बाद उनके घर के पास एक मस्जिद में रह रहे हैं। हमले के बाद गृह मंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, 'मैनें बैठक में कहा था कि इसमें हमारी गलती नहीं है बल्कि आपकी गलती है क्योंकि आपने हमारी आकांक्षओं को पूरा नहीं किया।' उन्होंने कहा, 'आप हमारे बच्चों को निशाना बना रहे हैं और हमारी समस्या को बढ़ा रहे हैं। हम बुरे हालात में फंसे हुए हैं और जो हुआ है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि ऐसे संगठनों से हमारा कोई संबंध नहीं है।’ गौर हो कि सीआरपीएफ के 2,500 से अधिक जवान 78 वाहनों के काफिले में यात्रा कर रहे थे जब आतंकवादियों ने गुरुवार को दोपहर करीब 3 बजकर 15 मिनट पर श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर दक्षिण कश्मीर के अवंतिपुरा के लातूमोड़ में घात लगाकर हमला किया। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए। ज्यादातर जवान छुट्टी बिताने के बाद ड्यूटी पर लौट रहे थे।पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। पुलिस ने फिदायीन हमलावर की पहचान आदिल अहमद के रूप में की।
वह 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। घटनास्थल पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि वह सड़क के विपरीत दिशा में 100 किलोग्राम विस्फोटकों से लदा वाहन चला रहा था और उसने सामने से बस में टक्कर मार दी जिसमें 39 से 44 जवान यात्रा कर रहे थे। इस शक्तिशाली विस्फोट की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई।