पोर्श मामला: नाबालिग का दादा व पिता 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, तीसरे की तलाश जारी

पुणे। लग्जरी कार से हुए सड़क हादसे के मामले में आदलात ने नाबालिग आरोपी के पिता और दादा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। विशाल अग्रवाल और सुरेंद्र अग्रवाल को एक बार फिर कोर्ट में पेश किया गया। नाबालिक आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल और पिता विशाल अग्रवाल की हिरासत बढ़ाने की मांग करते हुए अदालत में क्राइम ब्रांच ने कहा कि दोनों आरोपियों के प्रति जांच जारी है। उनका मोबाइल और गाड़ी जब्त हो चुके हैं। अदालत ने शुक्रवार को पोर्श मामले में शामिल नाबालिग के पिता और दादा को उनके चालक के अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने में उनकी भूमिका के लिए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

विशाल अग्रवाल के वकील प्रशांत पाटिल ने इस पर कहा कि सीसीटीवी पुलिस कस्टडी में है। गाड़ी और मोबाइल फोन पहले से मौजूद हैं। अभी कस्टडी की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, अदालत ने दोनों आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है।

19 मई को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में जब लग्जरी कार ने दोपहिया वाहन को टक्कर मारी थी। तब चालक किशोर के साथ पोर्श में था। इस दुर्घटना में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई थी।

कार चालक रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल का बेटा है। आरोप था कि रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल और उनके पिता ने अपने ड्राइवर को दुर्घटना का दोष अपने ऊपर लेने की धमकी दी। यही नहीं उसका अपहरण भी कर लिया। उसे अवैध रूप से अपने घर में बंधक बनाकर रखा। ड्राइवर की पत्नी ने उसे वडगांव शेरी इलाके में आरोपी के बंगले के सर्वेंट क्वार्टर से मुक्त कराया।

इस बाद दोनों विशाल अग्रवाल और उसके पिता को पुलिस रिमांड में भेजा गया था। पिता-पुत्र की जोड़ी की पुलिस रिमांड की समाप्ति पर न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) एए पांडे की अदालत में पेश किया गया।


अदालत में अभियोजन पक्ष ने पुलिस रिमांड बढ़ाने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि मामले की जांच जारी है, अब तक अपराध में इस्तेमाल किए गए फोन और कार की बरामदगी हो चुकी है। उन्होंने आरोपियों को कुछ समय हिरासत में रखने की मांग करते हुए बताया कि दोनों ही आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं।

वहीं बचाव पक्ष के वकील ने पुलिस हिरासत की मांग पर आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष को मामले की जांच के लिए पहले ही पर्याप्त समय मिल चुका है। चूंकि उन्होंने कार, फोन और सीसीटीवी फुटेज पहले ही बरामद कर लिए हैं। इसलिए इसके आगे पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है।

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने पिता-पुत्र की जोड़ी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वहीं किशोर को 5 जून तक निगरानी गृह में रखा गया है। मामले में नया मोड़ तब आया था जब पुलिस ने कहा कि ससून जनरल अस्पताल में नाबालिग कार चालक के रक्त के नमूनों की अदला-बदली की गई। यह अदला-बदली इसलिए हुई ताकि यह पता चल सके कि दुर्घटना के समय वह नशे में नहीं था।