PM मोदी कल देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुल का करेंगे उद्घाटन, 21 साल में बनकर हुआ तैयार, भारतीय सेना के लिए खास

4.94 किलोमीटर लंबा असम में ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबील ब्रिज भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। खासकर अरुणाचल सीमा से सटे होने के कारण सामरिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण है। यह रेल-रोड ब्रिज देश को नई ताकत देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को इस रेल-रोड पुल का उद्घाटन करेंगे। यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ेगा। 1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने पुल का शिलान्यास किया था, वहीं 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसका निर्माण शुरू किया था। पुल के पूरा होने में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई। इस पुल के शुरू होने से भारतीय सेना को जवानों के ट्रांसपोर्ट में बड़ी मदद मिलेगी। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य और चीन करीब 4000 किलोमीटर लंबा बॉर्डर साझा करते हैं। इसका करीब 75 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में है।

इसके चलते असम के डिब्रूगढ़ जिले में ब्रह्मपुत्र के उत्तर की तरफ जाना आसान हो जाएगा जिसमें अरुणाचल प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण है। अरुणाचल प्रदेश और पूरे उत्तर पूर्वी भारत के चुनौतीपूर्ण भूगोल को देखते हुए बोगीबील ब्रिज इस इलाके में रेल लाइन के विकास की नई शुरुआत है। हालांकि बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी की चौड़ाई 10.3 किलीमेटर है लेकिन रेलवे पुल बनाने के लिए यहां तकनीक लगाकर पहले नदी की चौड़ाई कम की गई और फिर इसपर करीब 5 किलोमीटर लंबा रेल/रोड ब्रिज बनाया गया है।

इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना

बोगीबील पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना बताया जा रहा है। यह असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल के धेमाजी जिले को जोड़ेगा। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश जाने में लगने वाला वक्त 10 घंटे कम हो जाएगा। पुल के बनने से डिब्रूगढ़-धेमाजी के बीच की दूरी 500 किमी से घटकर 100 किमी रह जाएगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फिलहाल यहां से 450 किलीमेटर दूर गुवाहाटी में ही ब्रह्मपुत्र को पार करने के लिए नदी पर पुल मौजूद है। जबकि सड़क पुल भी यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर है। ऐसे भी आम लोगों की सुविधा के अलावा फौजी जरूरतों के लिहाज से यह पुल सेना को बड़ी ताकत देगा।

कई तरह की चुनौतियों का सामना

इस ब्रिज को बनाने में इंजीनियरों को कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। सबसे पहले तो उन्हें यहां मार्च से लेकर अक्टूबर तक होने वाली बारिश के बाद ही काम करने का समय मिला है। इसके अलावा नदी के पानी के भारी दबाव में होने के नाते किसी भी तरफ से मिट्टी का कटाव शुरू हो जाता है और कहीं भी टापू बन जाता है ऐसे में काम करना या फिर लोकेशन बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन इन सबसे निबटकर पहली बार रेलवे ने स्टील गर्डर का इस्तेमाल कर इतना बड़ा पुल बनाया है। इस पुल में कहीं भी रिपीट नहीं लगाया गया बल्कि हर जगह लोहे को वेल्ड किया गया है जिससे इसका वजन 20% तक कम हो गया और इससे लागत में भी कमी आयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को इस पुल का उद्घाटन करेंगे। मुख्य अभियंता मोहिंदर सिंह ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 4।9 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से जुड़े पुल का रखरखाव काफी सस्ता होता है। इस पुल के निर्माण में 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है और इसकी मियाद 120 वर्ष है। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी। इसके अलावा दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा। इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी।

रेलवे द्वारा निर्मित इस डबल-डेकर पुल से ट्रेन और गाड़ियां दोनों गुजर सकेंगी। ऊपरी तल पर तीन लेन की सड़क बनाई गई है। नीचे वाले तल (लोअर डेक) पर दो ट्रैक बनाए गए हैं। पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि इससे मिलिट्री के टैंक भी निकल सकेंगे।