अपने पांच दिवसीय आसियान देशों के दौरे के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर स्थित क्लिफोर्ड पायर में महात्मा गांधी की याद में बनी तख्ती का अनावरण किया। ये उन चुनिंदा जगहों में शामिल है, जहां बापू की अस्थियां विसर्जित की गई थीं। इससे पहले, पीएम मोदी ने सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक तोंग से मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि तीन देशों के पांच दिवसीय दौरे पर निकले प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया और मलेशिया के बाद गुरुवार को सिंगापुर पहुंचे थे। शुक्रवार को दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए। बता दें कि गोह सिंगापुर के निर्माता ली कुआन के बाद 1990 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। 2004 में सत्ता छोड़ने के बाद वे अभी सरकार में वरिष्ठ मंत्री और सेंट्रल बैंक के वरिष्ठ सलाहकार पद पर हैं।
यूनेस्को साइट और लिटिल इंडिया का भी करेंगे दौरा- जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री आज ही सिंगापुर के बोटेनिकल गार्डन में बने नेशनल आर्केड गार्डन देखने जाएंगे। इस यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया है।
- इसके बाद मोदी थोड़ा समय सिंगापुर की सबसे पुरानी चिलुया मस्जिद को देखने में बिताएंगे। चाइना टाउन में स्थित ये मस्जिद 1974 से सिंगापुर का राष्ट्रीय स्मारक है।
- पीएम यहां से बुद्ध टूथ रेलिक टेंपल भी जाएंगे। मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान बुद्ध के दांत का एक बचा हुआ अंश रखा गया है। इस अंश को भारत के उत्तर प्रदेश स्थित कुशीनगर से यहां लाया गया था।
- मोदी आज ही सिंगापुर में स्थित प्रसिद्ध लिटिल इंडिया का भी दौरा करेंगे। ये इलाका अपनी भारतीय विरासत के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
भारतीय और सिंगापुर की नौसेना से होगी मुलाकात- दौरे के अंत से पहले मोदी सिंगापुर के चांगी नौसैनिक बेस का भी जाएंगे। वे यहां भारतीय नौसैनिक शिप आईएनएस सतपुड़ा देखेंगे। साथ ही भारतीय और सिंगापुर की नौसेना के अधिकारियों और सैनिकों से मुलाकात करेंगे।
मोदी ने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से की मुलाकात- मोदी ने अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भी मुलाकात की। मैटिस शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेने सिंगापुर पहुंचे हैं।
- हाल ही में अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी प्रशांत कमांड का नाम बदल कर हिंद-प्रशांत कमांड किया था। माना जाता है कि अमेरिका ने ऐसा क्षेत्र में भारत की अहमियत को देखते हुए किया। मैटिस भी भारत के समर्थक माने जाते हैं।
पहले दिन राष्ट्रपति के साथ आठ करार पर हुए थे हस्ताक्षर- मोदी शुक्रवार को ही सिंगापुर पहुंचे थे। यहां उनका प्रेसिडेंशियल पैलेस में स्वागत किया गया। मोदी ने सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब और प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी बढ़ाने पर चर्चा हुई। भारत और सिंगापुर के बीच आठ करार हुए।
2001 के बाद से 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली- मोदी नान्यांग यूनिवर्सिटी में छात्रों से भी रूबरू हुए। यहां उन्होंने कई लोगों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में पॉलिटिकल प्रेशर ग्रुप की एक दुनिया होती है, उसे झेलना मुश्किल होता है। पहले प्रेशर ज्यादा था। यहां अस्पताल बनाओ, यहां स्कूल बनाओ। मैंने स्पेस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर मैप तैयार किए। फिर कोई भी नेता आता था तो उन्हें बताता, देखो तुम्हारे यहां है, नया नहीं बनेगा।
- पीएम या सीएम बनने से उनके जीवन में कितना बदलाव आया। इस सवाल पर मोदी ने कहा- “2001 से पहले वह मुख्यमंत्री नहीं थे लेकिन उनका जीवन तब जैसा था, आज भी वैसा ही है। इसमें बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा था कि जब वह जवानों को सीमा पर देश की रक्षा करते देखते हैं और मां को संघर्ष करते देखते हैं तो उन्हें लगता है कि आराम नहीं करना चाहिए। इसी से वह प्रेरित होते हैं और लगता है कि छुट्टी नहीं लेनी चाहिए।”
रोबोट महिला से की थी बातमोदी ने यूनिवर्सिटी में कई मशीनों को बेहद करीब से देखा। इसके अलावा उन्होंने एक रोबोट महिला से भी बात की। उन्होंने रोबोट से कुछ सवाल किए तो महिला रोबोट ने आंखें झपका कर जवाब दिए। यूनिवर्सिटी कैंपस में उन्होंने एक नीम का पौधा भी लगाया।
सिंगापुर को बताया आसियान का स्प्रिंगबोर्ड- इसके बाद मोदी शांगरी-ला डायलॉग में भी शामिल हुए। वे इसमें स्पीच देने वाले पहले भारतीय पीएम बने। इसमें 40 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मोदी ने कहा कि एशिया और दुनिया का अच्छा भविष्य होगा, यदि भारत और चीन भरोसे और आत्मविश्वास के साथ मिलकर काम करें। हमने आपसी मुद्दों को निपटाने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए परिपक्वता दिखाई है। एशिया की प्रतिद्वंद्विता क्षेत्र को पीछे धकेलेगी, सहयोग इसे सही आकार देगा।
- मोदी ने कहा, “यह समिट आसियान और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। हजारों साल से भारतीय पूर्व की तरफ बढ़े, यह सिर्फ उगते सूरज को देखने के लिए नहीं, बल्कि यह प्रार्थना करने के लिए कि इसकी रोशनी हमेशा दुनिया पर रहे। सिंगापुर हमारे लिए आसियान का स्प्रिंगबोर्ड है।”
मोदी ने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से की मुलाकात- मोदी ने अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भी मुलाकात की। मैटिस शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेने सिंगापुर पहुंचे हैं।
- हाल ही में अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी प्रशांत कमांड का नाम बदल कर हिंद-प्रशांत कमांड किया था। माना जाता है कि अमेरिका ने ऐसा क्षेत्र में भारत की अहमियत को देखते हुए किया। मैटिस भी भारत के समर्थक माने जाते हैं।
पहले दिन राष्ट्रपति के साथ आठ करार पर हुए थे हस्ताक्षर- मोदी शुक्रवार को ही सिंगापुर पहुंचे थे। यहां उनका प्रेसिडेंशियल पैलेस में स्वागत किया गया। मोदी ने सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब और प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी बढ़ाने पर चर्चा हुई। भारत और सिंगापुर के बीच आठ करार हुए।
2001 के बाद से 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली- मोदी नान्यांग यूनिवर्सिटी में छात्रों से भी रूबरू हुए। यहां उन्होंने कई लोगों के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में पॉलिटिकल प्रेशर ग्रुप की एक दुनिया होती है, उसे झेलना मुश्किल होता है। पहले प्रेशर ज्यादा था। यहां अस्पताल बनाओ, यहां स्कूल बनाओ। मैंने स्पेस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर मैप तैयार किए। फिर कोई भी नेता आता था तो उन्हें बताता, देखो तुम्हारे यहां है, नया नहीं बनेगा।
- पीएम या सीएम बनने से उनके जीवन में कितना बदलाव आया। इस सवाल पर मोदी ने कहा- “2001 से पहले वह मुख्यमंत्री नहीं थे लेकिन उनका जीवन तब जैसा था, आज भी वैसा ही है। इसमें बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा था कि जब वह जवानों को सीमा पर देश की रक्षा करते देखते हैं और मां को संघर्ष करते देखते हैं तो उन्हें लगता है कि आराम नहीं करना चाहिए। इसी से वह प्रेरित होते हैं और लगता है कि छुट्टी नहीं लेनी चाहिए।”
रोबोट महिला से की थी बातमोदी ने यूनिवर्सिटी में कई मशीनों को बेहद करीब से देखा। इसके अलावा उन्होंने एक रोबोट महिला से भी बात की। उन्होंने रोबोट से कुछ सवाल किए तो महिला रोबोट ने आंखें झपका कर जवाब दिए। यूनिवर्सिटी कैंपस में उन्होंने एक नीम का पौधा भी लगाया।
सिंगापुर को बताया आसियान का स्प्रिंगबोर्ड- इसके बाद मोदी शांगरी-ला डायलॉग में भी शामिल हुए। वे इसमें स्पीच देने वाले पहले भारतीय पीएम बने। इसमें 40 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मोदी ने कहा कि एशिया और दुनिया का अच्छा भविष्य होगा, यदि भारत और चीन भरोसे और आत्मविश्वास के साथ मिलकर काम करें। हमने आपसी मुद्दों को निपटाने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए परिपक्वता दिखाई है। एशिया की प्रतिद्वंद्विता क्षेत्र को पीछे धकेलेगी, सहयोग इसे सही आकार देगा।
- मोदी ने कहा, “यह समिट आसियान और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। हजारों साल से भारतीय पूर्व की तरफ बढ़े, यह सिर्फ उगते सूरज को देखने के लिए नहीं, बल्कि यह प्रार्थना करने के लिए कि इसकी रोशनी हमेशा दुनिया पर रहे। सिंगापुर हमारे लिए आसियान का स्प्रिंगबोर्ड है।”