मन की बात : मोदी ने कहा - इस कार्यक्रम को मिस कर रहा था, आपके विश्वास ने दोबारा बात करने का मौका दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में रविवार को पहली बार अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस कार्यक्रम को मिस कर रहा था। मोदी ने कहा कि चुनाव के दौरान आपसे बात नहीं कर पाने का अफसोस रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच मन की बात, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन मन की बात का मजा ही गायब था, एक कमी महसूस कर रहा था। हम 130 करोड़ देशवासियों के स्वजन के रूप में बातें करते थे। फरवरी में मैंने कहा था कि अब तीन-चार महीने बाद मिलेंगे तो लोगों ने इसके कई राजनीतिक अर्थ निकाले। मुझे यह विश्वास आपसे मिला था। आपने ही मुझे दोबारा बोलने का मौका दिया। पीएम मोदी ने कहा कि मन की बात के लिए जो चिट्ठियां आती हैं, एक प्रकार से वह भी मेरे लिये प्रेरणा और ऊर्जा का कारण बन जाती है। कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं।

मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। एक लम्बे अंतराल के बाद, फिर से एक बार, आप सबके बीच, मन की बात’, जन की बात, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला प्रारम्भ कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता बहुत थी लेकिन मन की बात को मिस कर रहा था। बीच का जो समय गया वो काफी कठिन था। जब मन की बात करता हूं तो आवाज शायद मेरी है लेकिन बात आपकी है पराक्रम आपका है। एक बार तो मन कर रहा था कि चुनाव समाप्त होते ही आपसे बात करूं, लेकिन फिर रविवार को ही बात करने का मन हुआ। इस रविवार ने काफी इंतजार कराया।'

मोदी ने कहा, 'कई सारे संदेश पिछले कुछ महीनों में आए हैं, जिसमें लोगों ने कहा कि वो ‘मन की बात’ को मिस कर रहे हैं। जब मैं पढता हूं, सुनता हूं मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूं। मुझसे कई लोगों ने पूछा कि आप बीच में केदारनाथ क्यों चले गए? चुनाव की आपाधापी में मैं चल पड़ा। कई लोगों ने इसके राजनीतिक अर्थ निकाले। लेकिन मैं तब खुद से मिलने चला गया था। मन की बात के कारण जो खालीपन था। उसे केदारनाथ की खाली गुफा ने भरने का मौका दिया।'

मोदी ने कहा, 'जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, जेल के सलाखों तक, आंदोलन सिमट नहीं गया था। जन-जन के दिल में एक आक्रोश था। खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। दिन रात जब समय पर खाना खाते हैं तब क्या भूख क्या होती है इसका पता नहीं होता है वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों की क्या मजा है वो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है। आपतकाल में, देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है। '

मोदी ने कहा, 'अर्द्धसैनिक बलों के करीब 3 लाख सुरक्षाकर्मियों और राज्यों के 20 लाख पुलिसकर्मियों ने परिश्रम किया। अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में एक महिला मतदाता के लिए पोलिंग स्टेशन बनाया गया। चुनाव आयोग के अधिकारियों को वहां पहुंचने के लिए दो दिन तक यात्रा करनी पड़ी। चुनाव आयोग बधाई देता हूं और भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हूं।'

मोदी ने कहा, 'मन की बात बताता है कि देश की तरक्की में 130 करोड़ देशवासी मजबूती और सक्रियता से जुड़ना चाहते हैं। मन की बात मुझे इतनी चिट्ठियां आती हैं लेकिन शिकायतें काफी कम होती हैं और खुद के लिए मांगने का मामला तो न के बराबर होती हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, देश के प्रधानमंत्री को कोई चिट्ठी लिखे, लेकिन ख़ुद के लिए कुछ मांगे नहीं, ये देश के करोड़ों लोगों की भावना कितनी ऊंची होगी।'

मोदी ने कहा, 'सामूहिक प्रयास से बड़े सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। पूरे देश में जल संकट से निपटने का कोई एक फॉर्मूला नहीं हो सकता है। इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके से प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है, और वह है पानी बचाना, जल संरक्षण। जब हम एकजुट होकर, मजबूती से प्रयास करते हैं तो असंभव को भी संभव कर सकते हैं जब जन-जन जुड़ेगा, जल बचेगा। '

मोदी ने कहा, 'हम स्वागत सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दें। उनके इस आग्रह पर काफ़ी जगह लोग अब उन्हें किताबें देने लगे हैं। मुझे हाल ही में किसी ने ‘प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियां’ नाम की पुस्तक दी। प्रवास के दौरान मुझे उनकी कुछ कहानियां फिर से पढ़ने का मौका मिल गया। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है।'

मोदी ने कहा, 'कई लोगों ने मुझसे कहा था जब मैंने आखिर में कहा था कि हम तीन-चार महीने के बाद मिलेंगे, तो लोगों ने उसके भी राजनीतिक अर्थ निकाले थे और लोगों ने कहा कि अरे! मोदी जी का कितना कॉन्फिडेंस है, उनको भरोसा है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि यह मेरा विश्वास था, जो आपके विश्वास का आधार था। असल में मैं नहीं आया हूं। आप मुझे लाए हैं। आपने ही मुझे बिठाया है और आपने ही मुझे एक बार फिर बोलने का अवसर दिया है।'

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) की आचार संहिता लगने से पहले प्रसारित हुए इस रेडियो कार्यक्रम में पीएम मोदी ने अपने 'मन की बात' बता दी थी। उन्‍हें अपनी बंपर जीत का भरोसा था इसीलिए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने इशारे-इशारे में लोकसभा चुनाव 2019 में जीत के बाद फिर प्रधानमंत्री बनने की बात कही थी। अपनी वापसी का भरोसा जताते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि वह मई के अंतिम रविवार को अपने कार्यक्रम के साथ लौटेंगे। बीजेपी नीत राजग लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटा है और पीएम मोदी ने 30 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।