प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को एक प्रसिद्ध चीनी चित्रकार की दो कलाकृतियों की प्रतिलिपियां भेंट कीं जिन्हें उसने पश्चिम बंगाल में विश्वभारती विश्वविद्यालय में 1939-40 में ठहरने दौरान बनायी थी। मोदी ने यहां अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान शी को शू बीहोंग की दो पेंटिंग की प्रतिलिपियां दीं। शू घोड़ों और पक्षियों की अपनी पेंटिग के लिए जाने जाते थे। वह उन कलात्मक अभिव्यक्तियों की जरूरतों को सामने रखने वाले प्रथम चीनी कलाकारों में एक थे, जिनमें 20 वीं सदी के प्रारंभ में आधुनिक चीन परिलक्षित हुआ।
पेंटिंग में एक घोड़ा और घास पर गौरैया नजर आ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि शू ने विश्वभारती में ठहरने के दौरान ये कलाकृतियां बनायी थीं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ( आईसीसीआर) ने इस शिखर वार्ता के लिए उनका विशेष रूप से आर्डर किया था। यहां सूत्रों ने बताया कि ‘ घोड़ा, गौरैया और घास’ शीर्षक वाली ये पेंटिंग विश्वभारती के संग्रहण में है। आईसीसीआर ने वुहार में इन दोनों नेताओं की अनौपचारिक शिखर भेंटवार्ता के मौके लिए उनकी एकल प्रतिलिपियों का विशेष रुप से आर्डर किया था।
सूत्रों के अनुसार शू चीन से प्रथम विजिटिंग प्रोफेसर के रुप में शांतिनिकेतन आए थे और उन्होंने कलाभवन में अध्यापन किया था। उस दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने दिसंबर, 1939 में शू बीहोंग की 150 से अधिक कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। आपको बता दें कि शुक्रवार को ही मध्य चीनी शहर में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक में अपनी प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान मोदी ने सदियों पुराने चीन- भारत संबंधों की प्रशंसा की और कहा कि लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मोदी ने ‘स्ट्रेन्थ’ के जरिये लोगों से लोगों के बीच संपर्क पर बल दिया। स्ट्रेन्थ का मतलब: एस- आध्यात्मिकता, टी- परंपरा, व्यापार और प्रौद्योगिकी, आर- संबंध, ई- मनोरंजन ( सिनेमा, कला, नृत्य आदि), एन- प्रकृति संरक्षण, जी- खेल, टी- पर्यटन और एच- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा।