पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। वे पिछले करीब दो महीने से एम्स में भर्ती थे और बीते तीन दिनों से जीवन रक्षक प्रणाली पर चल रहे थे। बुधवार सवेरे से ही उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। एम्स के अनुभवी डॉक्टर लगातार उनकी देखरेख में लगे हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वो हमें कहकर गए हैं- 'मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?'
उन्होंने लिखा है कि अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !
आपको बता दें कि बुधवार (15 अगस्त) की रात को ही पूर्व पीएम की तबियत ज्यादा बिगड़ने की खबर मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अन्य केंद्रीय मंत्री और नेता उनका हालचाल जानने के लिए एम्स पहुंचे थे। उनके अलावा एम्स के बाहर वाजपेयी के समर्थकों का जमावड़ा लगा रहा। गुर्दा नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण की शिकायत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी को बीते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। 93 वर्षीय वाजपेयी मधुमेह के शिकार हैं और उनका एक ही गुर्दा काम करता है।
पहली बार 1996 में बने प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी पहली बार देश के प्रधानमंत्री मई 1996 में बने। हालांकि इस दौरान उनकी सरकार महज 13 दिन में ही अल्पमत मे आ गई और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
दूसरी बार बने पीएमएनडीए के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1998-99 में दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए ने सदन में अपना बहुमत साबित किया और इस तरह से बीजेपी ने एक बार फिर देश में सरकार बनाई।
तीसरी बार का कार्यकालअटल बिहारी वाजपेयी 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके इस कार्यकाल में देश ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। साल 2004 में आम चुनाव में बीजेपी की हार के बाद उन्होंने गिरती सेहत के चलते राजनीति से संन्यास ले लिया था।
2015 में मिला भारत रत्नअटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न ने नवाजा। इस सम्मान से पहले भी वाजपेयी जी को पदम विभूषण से लेकर कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेयी लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।