संसद के मॉनसून सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई है। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो गया। वही सत्र के शुरू होते ही सरकार के खिलाफ लोकसभा में कांग्रेस और टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंजूरी दे दी। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर विपक्ष ने हंगामा किया और हमें न्याय चाहिए के नारे लगाए। वहीं राज्यसभा में भी विपक्ष ने खूब हंगामा किया।
सत्र शुरू होते ही पहला घंटा हंगामें की भेंट चढ़ गया। सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल की घोषणा की और इसके खत्म होते ही टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिसे स्वीकार करते हुए संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा वह इसपर चर्चा के लिए तैयार हैं।
हालांकि सुमित्रा महाजन ने अभी चर्चा के लिए समय नहीं दिया है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ यह पहला अविश्वास प्रस्ताव है। इससे पहले मार्च में बजट सत्र में भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात जोर-शोर से उठी थी लेकिन विपक्ष नंबर गेम में भाजपा के सामने टिक नहीं पाई थी। नंबर गेम के मामले में बीजेपी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार आज भी काफी मजबूत बनी हुई है और सरकार के पास एनडीए के सभी सहयोगी दलों को मिलाकर लोकसभा में 311 सांसद हैं।
अब देखना दिलचस्प होगा कि मॉब लिंचिग, किसानों की आत्महत्या, महिलाओं के साथ बढ़ती बलात्कार की घटनाओं, विशेष राज्य की मांग के साथ कई और मामलों जैसे नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दों घिरी केंद्र सरकार अविश्वास प्रस्ताव से खुद को कैसे बचाती है। वैसे सदन में मजबूत दावेदारी होने के बाद सरकार बच तो जाएगी लेकिन जनता की अदालत से खुद को कैसे बचाती है। इस पूरे मामले को बारीकी से देख रहे राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सदन में मोदी सरकार पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि दोनों ही सदन में BJP मजबूत स्थिति में बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि 535 सदस्यीय लोकसभा में बीजेपी और सहयोगी दलों के सदस्यों की संख्या कुल मिलाकर 311 है। बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है, जो भाजपा के पास है। इसका मतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव को गिरना ही है।