लोकसभा में यह 27वां अविश्वास प्रस्ताव, यूपीए और विरोधी दलों की सीटें मिलाकर 137, भाजपा की 274

शुक्रवार यानी 20 जुलाई को चार साल पुरानी मोदी सरकार को पहली बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा। लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार सुबह 11 बजे से चर्चा होगी। इस दौरान अगर वोटिंग होती है, तो मौजूदा सीटों के लिहाज से भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए आसानी से जीत जाएगी। कांग्रेस और विपक्षी दलों की सीटें मिलकर भी भाजपा से कम हैं। एनडीए की सहयोगी रही तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने इसका नोटिस लोकसभा महासचिव को दिया था, जिसका कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया। आप भी जानिए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अब तक क्या कुछ हो रहा है।

अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी का जीतना लगभग तय

अंकों के गणित के हिसाब से लोकसभा में एनडीए पूरी तरह से सेफ जोन में है। मौजूदा समय में लोकसभा में कुल 536 सदस्य हैं। इसमें दो नामित सदस्य भी शामिल हैं जबकि 9 सीट खाली हैं। यानी स्पीकर को हटा दें तो कुल संख्या 535 हो जाती है। लिहाजा, बहुमत के लिए 268 सदस्य चाहिए। लोकसभा में दलगत स्थिति की बात की जाए तो बीजेपी के पास कुल 273 (स्पीकर को छोड़कर) सदस्य हैं। एनडीए के कुल आंकड़ों को देखें तो यह 358 तक पहुंच जाता है। यानी सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल है। लिहाजा, अविश्वास प्रस्ताव से तो बीजेपी पहले ही निश्चिंत है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को होने वाले मत विभाजन में सरकार को 314 सांसदों का समर्थन मिलेगा।

लोकसभा में यह 27वां अविश्वास प्रस्ताव

लोकसभा में इससे पहले कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं। शुक्रवार को 27वें प्रस्ताव पर चर्चा होगी। पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ आचार्य कृपलानी ने पेश किया था। इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रिकॉर्ड 15 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए थे। 1990 में वीपी सिंह, 1997 में देवेगौड़ा, 1999 में वाजपेयी फ्लोर टेस्ट हारे। इस तरह तीन मौकों पर वोटिंग के बाद सरकारें गिर गईं।

सबसे कम वोट से हारे थे वाजपेयी

एनडीए सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 1999 में आया। तब वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी। वाजपेयी पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो इतने कम अंतर से हारे। 1996 में भी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन वोटिंग से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 2003 में कांग्रेस ने एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन, तब वाजपेयी के पास पर्याप्त बहुमत था।

यूपीए सरकार खुद लाई थी प्रस्ताव

2008 में एटमी डील के वक्त वाम दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया। उस वक्त यूपीए सरकार ने खुद विश्वास प्रस्ताव पेश किया और लोकसभा में हुई वोटिंग में मनमोहन सिंह को जीत मिली थी।

लोकसभा में वोटों की गणित

सीटें: लोकसभा की कुल संख्या 545, नॉमिनेटेड 2, खाली 11

मौजूदा संख्या: 534, बहुमत के लिए जरूरी : 268