असम के सिटीजन रजिस्टर का ड्राफ़्ट आने के बाद सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। वैध और अवैध नागरिकों की पहचान के लिए NRC ड्राफ़्ट पर घमासान जारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया। वही बुधवार को भी संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया। वहीं राज्यसभा में बीजेपी के सांसद को फिर से बोलने का मौका दिया लेकिन हंगामे की वजह से वह बोल नहीं पाए। शाह मंगलवार को दिए अपने बयान को पूरा करना चाहते थे। वहीं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सांसदों से कहा कि वह अपनी बात शांति से रखें।
आपको बता दें कि मंगलवार को एनआरसी के विरोध में हाथों में तख्ती लिए तृणमूल कांग्रेस, सपा, राजद, तेदेपा,आप, बसपा और जद(एस) के सांसदों ने दोनों सदनों में हंगामा किया जिसके चलते सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था।
एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं- असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुये शाह ने कहा था कि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौते के तहत एनआरसी बनाने की घोषणा की थी।
- एनआरसी को असम समझौते की आत्मा बताते हुये उन्होंने कहा ‘एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिये हम इसे लागू करने के लिये निकले हैं।’
- शाह ने एनआरसी को लागू करने पर देश में क्षेत्रीय एवं भाषायी आधार पर राज्यों के बीच टकराव शुरू होने की विपक्ष की आशंकाओं और आरोपों को गलत बताते हुये कहा कि सदन में इस बात की भी चर्चा होनी चाहिये कि एनआरसी लाने की जरूरत क्यों पड़ी।
- शाह ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुये कहा कि 14 अगस्त 1985 को गांधी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 15 अगस्त को लाल किले से इसकी घोषणा की थी।
- उन्होंने कहा ‘‘समझौते में कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर, उनको हमारे नागरिक रजिस्टर से अलग कर एक शुद्ध नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जायेगा।’
- शाह ने कहा कि एनआरसी बनाने की यह पहल पूर्व प्रधानमंत्री के फैसले के अनुपालन में ही की गयी है।
- उन्होंने कांग्रेस पर इसे लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुये कहा कि एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधी हुयी है।
- शाह ने एनआरसी से 40 लाख लोगों का नाम हटाये जाने के विपक्ष के आरोप पर पलटवार करते हुये कहा ‘ये 40 लाख लोग कौन हैं। इनमें बांग्लादेशी घुसपैठिये कितने हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं।’
रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं- लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 'रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं'।
- उन्होंने कहा, ' म्यांमार भेजने पर सरकार प्रक्रिया शुरू करेगी। रोहिंग्या पर सरकार ने दिशा-निर्देश जारी की हैं।
- सीमा सुरक्षा बल और आसाम राइफल्स को रोहिंग्या घुसपैठ रोकने के लिए तैनात किया गया है। राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है। उन्हें भारत आ चुके रोहिंग्या पर नजर बनाए रखने और मॉनिटर करने के साथ ही एक जगह पर रखने के लिए कहा गया है। उनसे कहा गया है कि वह उन्हें फैलने ना दें।'
त्रिपुरा में एनआरसी को लेकर कोई मांग नहीं है- त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने एनआरसी को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा, 'त्रिपुरा में एनआरसी को लेकर कोई मांग नहीं है। त्रिपुरा में हर चीज सुव्यवस्थित है। मुझे लगता है कि यह आसाम के लिए भी कोई बड़ा कारण नहीं है, सर्वानंद सोनोवाल जी इसे व्यवस्थित करने में सक्षम हैं। कुछ लोग डर फैलाकर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।'
जो अवैध बांग्लादेशी अपने देश वापस नहीं लौट रहे हैं, उन्हें गोली मार देनी चाहिएNRC मामले पर तेज राजनीति के बीच हैदराबाद से BJP विधायक राजा सिंह का एक भड़काऊ बयान सामने आया है। राजा सिंह ने कहा है कि जो अवैध बांग्लादेशी अपने देश वापस नहीं लौट रहे हैं, उन्हें गोली मार देनी चाहिए। आपको बता दें कि राजा सिंह हैदराबाद की गोशमहल विधानसभा से विधायक हैं।
असम की तरह ही बंगाल में भी NRC को लागू करेंगेराजा सिंह से पहले ही पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष कह चुके हैं कि अगर उनकी सरकार आती है तो असम की तरह ही बंगाल में भी NRC को लागू करेंगे।