जयपुर: स्कूल फीस बढ़ने से गुस्साए पेरेंट्स ने DEO पर फेंकी स्याही, पुलिस ने लाठी चलाकर खदेड़ा, 7 पर केस

जयपुर में शिक्षा संकुल के बाहर स्कूल फीस बढ़ोतरी के विरोध में आज शुक्रवार को बच्चों के पेरेंट्स ने विरोध प्रदर्शन किया। ज्ञापन देने आए प्रदर्शनकारियों में से एक व्यक्ति ने स्याही से भरी शीशी जिला शिक्षा अधिकारी रामचंद पिलानिया पर फेंक दी। जिसके बाद हंगामा बढ़ गया। पुलिस 7 लोगों को हिरासत में लेकर बजाज नगर थाने ले आई। कुछ पेरेंट्स ने पुलिस पर मारपीट करने का भी आरोप लगाया। इस पूरी घटना के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मारपीट और राजकार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज कराया है।

मामला बच्चों की स्कूल फीस से जुड़ा

संयुक्त अभिभावक संघ के नेतृत्व में आए पेरेंट्स ने शुक्रवार को जब शिक्षा संकुल में घुसने का प्रयास किया। वहां मौजूद पुलिस फोर्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिसकी वजह से नाराज पेरेंट्स ने शिक्षा संकुल के मुख्य गेट के बाहर ही धरना दे दिया। सभी पेरेंट्स जिला शिक्षा अधिकारी या अन्य किसी उच्च अधिकारी को मौके पर ही ज्ञापन लेने के लिए बुलाने की मांग करने लगे। करीब 15 मिनट तक हंगामा होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी रामचंद पिलानिया पेरेंट्स से मिलने पहुंचे। यहां पेरेंट्स ने अपना ज्ञापन पत्र उन्हें सौंपा और बातचीत करने लगे।

बातचीत के दौरान तभी पीछे से एक व्यक्ति ने पिलानिया पर स्याही से भरी शीशी फेंक दी। इसके बाद वहां हंगामा मच गया। पुलिस ने स्याही फेंकने वाले व्यक्ति को तुरंत अपने गिरफ्त में ले लिया। दूसरे प्रदर्शनकारियों को पुलिस पकड़ने लगी तो वहां भगदड़ मच गई। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 7 लोगों को हिरासत में लेकर बजाज नगर थाने ले गई।

राजकार्य में बाधा डालने और मारपीट का मामला दर्ज

जिला शिक्षा अधिकारी ने थाने पहुंचकर अभिभावक संघ के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, प्रवक्ता अभिषेक जैन समेत 7 लोगों के खिलाफ राजकार्य में बाधा डालने और मारपीट करने का मुकदमा दर्ज करवाया।

बजाज नगर थानाधिकारी रमेश सैनी ने बताया कि 7 लोगों के खिलाफ नामजद और करीब इतने ही अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, इनमें एक महिला भी शामिल है। 7 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है।

फीस एक्ट 2016 को लागू नहीं किया गया

प्रदर्शन कर रहे पेरेंट्स का कहना है कि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के 3 मई 2021 के आदेश और फीस एक्ट 2016 को लागू नहीं करना चाहता। इस कारण प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी बढ़ गई है। फीस को लेकर स्कूल के लोग बच्चों और उनके परिजनों से बदसलूकी कर रहे हैं। लगातार फीस बढ़ाई जा रही है। शिक्षामंत्री और बाल आयोग में कई बार शिकायत भी की, लेकिन सरकार में कोई सुनवाई ही नहीं कर रहा। जिला शिक्षा अधिकारी के पास जाते हैं तो वे भी उल्टा अभिभावकों पर ही फीस जमा करवाने का दबाव बनाते हैं।

3 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। जिसमें फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए एक्ट के अनुसार निर्धारित सत्र 2019-20 की कुल फीस का अधिकतम 85% फीस 6 किश्तों में जमा करवाने के आदेश दिए। इसके साथ ही किसी कारणवश कोई पेरेंट्स फीस जमा नहीं करवा पाता तो उनके बच्चों की पढ़ाई, एग्जाम और रिजल्ट नहीं रोका जा सकता है।