विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को पाकिस्तान पर कुलभूषण जाधव के परिजनों के मानवधिकार का गंभीर व घोर उल्लंघन करने और जाधव से मुलाकात के दौरान भयभीत करने वाला माहौल तैयार करने का आरोप लगाया। स्वराज ने साथ ही कहा कि इस्लामाबाद इस मुलाकात का प्रयोग प्रोपेगेंडा के हथियार के तौर पर कर रहा है। उन्होंने कहा, "इस घटना की निंदा के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं।" उन्होंने यह भी कहा "पाकिस्तान ने सोमवार की मुलाकात को मानवीय पहल के रूप में पेश किया था लेकिन सच्चाई यह है कि मुलाकात के दौरान मानवता और संवेदना नदारद थे।"
सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में जाधव से उनकी मां व पत्नी की मुलाकात के संबंध में संसद के दोनों सदनों में बयान दिया उन्होंने कहा "मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन और इस सदन के जरिए पूरा देश पाकिस्तान के आपत्तिजनक व्यवहार की एक स्वर में कड़ी निंदा करेगा और जाधव परिवार के साथ एकजुटता दिखाएगा।" और सदन के सदस्यों ने उनके बयान का समर्थन किया।
सुषमा स्वराज ने कहा कि क्रिसमस पर यह मुलाकात राजनयिक प्रक्रिया के जरिए हुई थी। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात भारत-पाकिस्तान संबंध को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम हो सकती थी, लेकिन यह चिंता का विषय है कि दोनों देशों के बीच पहले बनी आपसी सहमति का उल्लंघन किया गया।
उन्होंने कहा, "22 महीने बाद एक मां और बेटे की भावुक मुलाकात, एक पत्नी और पति की मुलाकात का पाकिस्तान ने दुरुपयोग किया और इसे प्रोपेगेंडा का हथियार बना दिया गया।"
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में मंगलवार को अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी और मुलाकात के संबंध में भारत की चिंता को बुधवार को राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान को अवगत करा दिया गया था।
पाकिस्तान के समक्ष जताई गई चिंताओं पर सुषमा स्वराज ने कहा, "यह स्पष्ट समझौता था कि मीडिया को जाधव की मां एवं पत्नी तक जाने नहीं दिया जाएगा। इसके बावजूद, न केवल पाकिस्तानी मीडिया को उनके करीब जाने दिया गया बल्कि मीडिया के लोगों ने उनसे आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग किया। पाकिस्तानी मीडिया ने जाधव के बारे में झूठे आरोप लगाए।"
उन्होंने कहा कि यहां तक कि सुरक्षा कारणों के नाम पर जाधव के परिजनों की पोशाक भी बदलवाईं गईं। सुषमा स्वराज ने कहा, "जाधव की मां,जो केवल साड़ी पहनती हैं, उन्हें सलवार और कुर्ता पहनने को दिया गया। दोनों महिलाओं की बिंदी, चूड़ियां और मंगलसूत्र तक उतरवाए गए। मां अपने बेटे से अपनी मातृभाषा मराठी में बात करना चाहती थी, जोकि मां एवं बेटे के बीच संचार का सहज माध्यम है। इसके बावजूद उन्हें मराठी में बात करने से रोका गया।"
उन्होंने कहा, "ऐसा करने पर, वहां मौजूद दो पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें बार-बार रोका। जब मां ने आग्रह किया तो इंटरकॉम बंद कर दिया गया और उन्हें मराठी में आगे की बातचीत करने से रोक दिया गया।" उन्होंने कहा कि कुलभूषण ने मां को बिना मंगलसूत्र देखा तो पहला सवाल यही किया कि पिता को क्या हुआ है।
उन्होंने कहा कि उप उच्चायुक्त जे.पी. सिंह को सूचित किए बिना जाधव के परिजनों को मुलाकात के लिए अलग दरवाजे से ले जाया गया जो कि जाधव के परिवार के साथ विदेश कार्यालय में मौजूद थे। इसी वजह से उन्हें जाधव के परिजनों की पोशाक बदलवाने और बिंदी, चूड़ियां और मंगलसूत्र उतरवाने के बारे में पता नहीं चल पाया।
सुषमा स्वराज ने कहा, "अगर उन्हें इसका पता चलता तो वह इसका विरोध करते। मुलाकात बिना उनकी मौजूदगी के शुरू हुई और अधिकारियों से इस बारे में शिकायत करने के बाद ही वह मुलाकात देख पाए।" विदेश मंत्री ने कहा कि जाधव व राजनयिक को ले जाने के लिए कार लाने में देरी की गई ताकि 'मीडिया को उन्हें प्रताड़ित करने का एक और मौका मिल सके।' सुषमा ने कहा, "बैठक से पहले जाधव की पत्नी के जूते को उतार लिया गया और मुलाकात के लिए उन्हें चप्पल दी गई। बैठक के बाद उनके द्वारा बार-बार आग्रह करने के बावजूद जूता नहीं लौटाया गया।"
सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान से वापस आईं जाधव की मां एवं पत्नी ने उन्हें बताया, "ऐसा प्रतीत होता है कि जाधव काफी दबाव में थे और दबाव की स्थिति में बात कर रहे थे। जाधव की अधिकतर टिप्पणी से साफ था कि उन्हें कैद करने वालों ने उनसे वही कहने को कहा है जो पाकिस्तान में कथित रूप से उनकी संदिग्ध गतिविधि पर आधारित थी। उन्हें देखने के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी।"
बता दे, जाधव पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। उन्हें पाकिस्तानी अदालत ने जासूसी व आतंकवाद के मामले में मौत की सजा सुनाई हुई है। भारत इन आरोपों को सिरे से खारिज करता रहा है और उसने मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उठाया जिसने फिलहाल जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी है।