जाने कौन है मौलाना फजलुर जिसकी वजह से गिर सकती है इमरान सरकार?

पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को सत्ता से उखाड़ फेंकने की जिद्द पर अड़े जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के मौलाना फजलुर रहमान (Maulana Fazlur Rahman) ने शुक्रवार को कहा कि हम इमरान खान को दो दिन यानी 48 घंटे का वक्त देते हैं। वे इस्तीफा दें और घर जाएं। पाकिस्तान ने इमरान से ज्यादा बेगैरत प्रधानमंत्री नहीं देखा। उन्होंने मुल्क को बेच दिया है। हम आपको बताने जा रहे मौलाना फजलुर रहमान के बारे में जिसकी वजह से इमरान खान को अपनी कुर्सी खोनी पड़ सकती है।

कौन है मौलाना फजलुर रहमान?

66 साल के मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी दल जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के चीफ हैं। उनके पिता खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के सीएम रह चुके हैं। वहां की सियासत में उनके परिवार का खासा प्रभाव रहा है। मौलाना पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में नेता विपक्ष भी रह चुके हैं। वे संसद में विदेश नीति पर स्टैंडिंग कमेटी के चीफ, कश्मीर कमेटी के मुखिया रह चुके हैं। वे तालिबान समर्थक माने जाते हैं लेकिन पिछले कुछ साल से उदारवादी होने का दावा करते हैं। इसके अलावा 2018 के चुनाव के बाद इमरान को सत्ता में आने से रोकने के लिए साझा पहल कर सुर्खियों में आए थे। पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से उम्मीदवार भी थे। सत्ता में नहीं रहते हुए भी नवाज शरीफ की सरकार ने मौलाना को केंद्रीय मंत्री का दर्जा दे रखा था। मौलाना का धार्मिक कार्ड सबसे मजबूत रहा है। वे खुले तौर पर देश की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी चलाते हैं। कभी तालिबान के खिलाफ अमेरिकी अभियान को इस्लाम विरोधी बताकर वे जेहाद का ऐलान किया करते थे।

पहली बार 1988 में जब बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थीं तो मौलाना ने एक महिला के देश की अगुवाई करने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि बाद में बेनजीर भुट्टो से मुलाकात के बाद मौलाना ने अपना विरोध वापस ले लिया था। मुशर्रफ के शासन काल में भी मौलाना फजलुर रहमान हमेशा विरोध का झंडा बुलंद किए रहे। 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 के हमले के बाद जब पाकिस्तान को मजबूरन तालिबान के खिलाफ अमेरिकी ऑपरेशन में साथ होना पड़ा तो मौलाना ने मुशर्रफ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जॉर्ज बुश के खिलाफ जेहाद का ऐलान कर पाकिस्तान के कई शहरों में तालिबान के पक्ष में रैलियां की। परवेज मुशर्रफ ने तब मौलाना को नजरबंद भी करवा दिया था।