
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिससे पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई है। इस त्रासदी के बाद केंद्र सरकार और समस्त विपक्ष एक सुर में आतंकवाद के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं। जहां मोदी सरकार हरकत में आ चुकी है, वहीं कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने भी यह स्पष्ट किया है कि वे सरकार के साथ मिलकर आतंकवादियों के खिलाफ हर संभव कार्रवाई का समर्थन करेंगे। हमले के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शुक्रवार को कश्मीर जाएंगे। वहां वे पहलगाम हमले में घायल हुए लोगों का हालचाल जानेंगे और उनके परिवारजनों से मुलाकात करेंगे।
अमेरिका दौरा बीच में छोड़ भारत लौटे राहुलराहुल गांधी इस हमले के बाद अपना अमेरिका दौरा बीच में छोड़कर गुरुवार को भारत लौटे। वापसी के तुरंत बाद उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की आपात बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें हमले की कड़ी निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया। शाम को वे सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ शामिल हुए और सभी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार को समर्थन देने का भरोसा जताया।
राहुल गांधी का कश्मीर दौरा — एकजुटता का संदेशशुक्रवार को राहुल गांधी का कश्मीर दौरा इस बात का संकेत है कि कांग्रेस भी इस राष्ट्रीय संकट में सक्रिय भूमिका निभाना चाहती है। कांग्रेस नेता गुलाम अहमद मीर ने बताया कि राहुल अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज जाएंगे, जहां पहलगाम हमले में घायल लोगों का इलाज चल रहा है। राहुल का यह दौरा न केवल पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति सहानुभूति और एकजुटता दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि विपक्ष इस बार पीछे नहीं रहेगा।
सरकार की रणनीति के साथ विपक्ष भी खड़ाहमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी यात्रा को रद्द कर भारत लौटने के बाद से स्थिति पर पैनी नजर बनाए रखी है। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने पीड़ित परिवारों से मिलकर संवेदना जताई और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। अब राहुल गांधी भी यही संदेश देने जा रहे हैं कि कांग्रेस देश की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर राजनीति नहीं करती, बल्कि वह एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभा रही है।
बीजेपी को जवाब देने की रणनीतिकांग्रेस इस बार न सिर्फ अपनी छवि को मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि वह सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राहुल गांधी का यह दौरा केवल संवेदना जताने तक सीमित नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी है — कि कांग्रेस आतंकवादियों और पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाने में केंद्र सरकार का पूरा साथ देगी।
छवि को लेकर सतर्क दिख रही कांग्रेस, पहलगाम हमले पर पाकिस्तान को घेराजम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। जिस तरह से इस हमले में धर्म के आधार पर निर्दोष हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया गया, उसने पूरे देश में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। कांग्रेस पार्टी भी इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अपनी रणनीति में पूरी सतर्कता बरत रही है। शुक्रवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव में पाकिस्तान को हमले की साजिश का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया कि यह हमला न सिर्फ निर्दोष नागरिकों पर बल्कि भारत के गणतांत्रिक मूल्यों पर भी एक सीधा और कायरतापूर्ण हमला है।
कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकियों ने जानबूझकर हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाकर देश में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की है। पार्टी ने दो टूक शब्दों में कहा कि ऐसे वक्त में वह भारत सरकार के हर कदम का समर्थन करेगी और आतंक के खिलाफ एकजुट खड़ी है।
पुलवामा के बाद की आलोचना से सबक2019 में पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद हुई एयर स्ट्राइक पर कांग्रेस नेताओं द्वारा सवाल उठाए गए थे, जिसने पार्टी को तीखी आलोचनाओं के घेरे में ला खड़ा किया था। बीजेपी ने कांग्रेस पर राष्ट्र विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया था और उसकी छवि को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश की थी। इसी अनुभव से सबक लेते हुए कांग्रेस इस बार कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। पहलगाम हमले के तुरंत बाद कांग्रेस ने साफ रुख अपनाया और सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े होने का संदेश दिया।
पार्टी ने अपने प्रस्ताव में जिस तरह स्पष्ट किया कि इस बार आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर हमले को अंजाम दिया, उससे यह भी संकेत गया कि कांग्रेस अब जनभावनाओं के अनुरूप हर दांव सोच-समझकर खेल रही है। पार्टी की रणनीति साफ है— न कोई सियासी चूक हो और न ही राष्ट्रहित से दूरी का कोई संदेश जाए।
राहुल गांधी का कश्मीर दौरा — एक रणनीतिक कदमराहुल गांधी की कश्मीर यात्रा भी इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। कांग्रेस उनकी छवि एक जननेता के रूप में मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। भारत जोड़ो यात्रा से लेकर विभिन्न वर्गों—मजदूरों, किसानों, दलितों और वंचितों—के साथ लगातार संवाद उनकी मुहब्बत की राजनीति की छवि गढ़ने की कोशिश है।
ऐसे में पहलगाम हमले के पीड़ितों से मुलाकात न करना उनकी बनाई इस संवेदनशील नेता की छवि को धक्का पहुंचा सकता था। यही वजह है कि राहुल गांधी अमेरिका का अपना दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटे और तुरंत सक्रिय भूमिका में नजर आए। कश्मीर जाकर घायलों से मिलना और उनके परिवारों को दिलासा देना उनके नैरेटिव को मजबूती देने वाला कदम है।
राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ एक संवेदना यात्रा नहीं, बल्कि एक ठोस राजनीतिक संदेश है—कि कांग्रेस अब न केवल सरकार के साथ खड़ी है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भी पूरी तरह सजग और तैयार है।