रेलवे की बड़ी चूक : 46 सीट के डिब्बे में अलॉट कर दी 47 व 48 नंबर की बर्थ

भारत का रेलवे नेटवर्क बहुत बड़ा हैं जो देश के एक कोने को दूसरे से जोड़ता हैं। कोरोना के बाद ट्रेनों का संचालन तो शुरू हो गया लेकिन प्रशासन की लापरवाही वो ही पुरानी वाली हैं। इसका एक मामला सामने आया बरेली से भुज जा रही आलाहजरत एक्सप्रेस (14321) ट्रेन से जहां 46 सीट के डिब्बे में रेलवे ने यात्रिओं को 47 व 48 नंबर की बर्थ अलॉट कर दी जो की कोच में थी ही नहीं। मामला बुधवार का है। इस पर जब उन्होंने रेलवे से सवाल किया, तो उन्हें रेलवे ने जवाब दिया गया कि पहले कोच 48 सीट का था, लेकिन अब 46 सीट का ही है। रेलवे पीआरएस सिस्टम के सॉफ्टवेयर में इसे अपडेट करना भूल गया। इस वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ट्रेन में थर्ड एसी के 5 और सैकंड एसी का 1 कोच था। तभी बरेली से दिल्ली जा रहे विशाल और अजमेर जा रहे प्रशांत ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पहुंचे। जब वो कोच में गए तो 15 मिनट तक उन्हें सीट ही नहीं मिली। उन्होंने बाहर खड़े एक रेलकर्मी से पूछा कि कोच में 47 और 48 नंबर की सीट कहां है? इस सवाल पर रेलकर्मी भी चुप रह गए। क्योंकि कोच में 46 ही सीट थीं। बाद में करीब 30 मिनट बाद जब उन्होंने इस संबंध में रेलवे से शिकायत की, तो रेलवे ने उन्हें दूसरी बर्थ अलॉट की।

9 घंटे मेंटेनेंस को ट्रेन खड़ी रही, लेकिन कोच में पानी तक नहीं

रेलवे उच्च श्रेणी के कोच में इसलिए किराया ज्यादा लेता है, क्योंकि वो दावा करता है कि ज्यादा लेकर यात्रियों को उच्च स्तर की सुविधाएं दी जाती है, लेकिन वास्तविकता परे है। आला एक्सप्रेस को बरेली में 9 घंटे का मेगा मेंटेनेंस हॉल्ट दिया जाता है। बुधवार को जब ट्रेन 9 घंटे के लंबे मेंटेनेंस के बाद दोबारा संचालित करने के लिए प्लेटफॉर्म पर लाई गई। तो सैकंड एसी कोच में हाथ धोने के लिए पानी ही नहीं था।