जोधपुर : मुंबई से पकडे गए ऑनलाइन धोखाधड़ी मामले के शातिर, कस्टम क्लीयरेंस और अवैध पार्सल के नाम पर जालसाजी

गत 6 सितंबर को चौहाबो 12 सेक्टर निवासी आकांक्षा जैन पत्नी रितेश जैन ने रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि मार्को नामक व्यक्ति जिसने खुद को यूके का रहने वाला बताया, उससे फेसबुक के जरिए जुड़ी। उसने अपना कुछ सामान भारत भेजना चाहा। फिर 31 जुलाई को एक महिला का कॉल आया, जिसमें कस्टम क्लीयरेंस के लिए 55 हजार रुपए मांगे, जो आकांक्षा ने अदा कर दिए। इस मामले में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस ने 16.26 लाख रुपयों की ऑनलाइन धोखाधड़ी का खुलासा कर मुंबई के चार शातिरों को गिरफ्तार किया। थानाधिकारी लिखमाराम बटेसर ने बताया कि पुलिस कमिश्नर के निर्देशन, एडीसीपी उमेश ओझा व एसीपी नीरज शर्मा के सुपरविजन में तकनीकी सहायता से दो महिलाओं सहित चार अभियुक्तों को मुंबई से गिरफ्तार किया।

अगले दिन फिर उसी नंबर से फोन आया और कहा कि पार्सल में तीस हजार पाउंड है, जो एक गैरकानूनी तरीका है एवं कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर आरबीआई की मेल भेजकर मानसिक दबाव बनाकर विभिन्न भारतीय बैंक खातों में 16 लाख 26 हजार रुपए तक की राशि मांग ली। ये खाते गणेश फिरंगी, सौरभ दास, अब्दुल रहमान व साहिन जालिल के थे। मानसिक दबाव के कारण व कानूनी कार्रवाई के डर से यह राशि दे दी।

इसके बाद आकांक्षा के नाम से एक डेबिट कार्ड भेजा गया, जिसको भारतीय नेटवर्क से जोड़ने के लिए फिर चार लाख रुपए की राशि मांगी गई। बानले बैंक यूके के नाम से फोन भी करके इस भुगतान का दबाव डाला जा रहा है। मामले में थानाधिकारी ने बताया कि साइबर क्राइम यूनिट से एसीपी लाभूराम, उप निरीक्षक दिनेश डांगी व हैड कांस्टेबल कानसिंह ने तकनीकी सहायता से आरोपियों को ट्रेस कर लिया। इस पर विशेष टीम मुंबई गई।

पुलिस ने मुंबई से बेरम बाग जोगेश्वरी निवासी शिफा पत्नी जमीर सैयद, रूपनगर प्रभात कॉलोनी आशा नगर सांताक्रूज निवासी शाहीन पुत्री मजूमदार, सिद्धार्थ नगर आरपी रोड चर्च के पास निवासी गणेश फिरंगी पुत्र विरनना फिरंगी व पंच परमेश्वर मंदिर के पास रहने वाले जितेंद्र पुत्र नलीन वाडेर को गिरफ्तार किया गया।

ऐसे ठगी करते थे शातिर

आरोपियों द्वारा फेसबुक पर दोस्ती कर अपने आप को विदेशी होना बताकर फिर देश में कोई पार्सल भेजकर एयरपोर्ट पर फंसा होने की बात कहते हैं। बाद में फर्जी बैंक खातों में रुपए डलवाते हैं। फिर आरबीआई का फर्जी मेल भेजकर कानूनी कार्रवाई की धमकी देते और अपने आप को साइबर विंग मुंबई पुलिस का बताकर लोगों पर दबाव बनाते और अलग-अलग बैंक खातों में रुपए ट्रांसफर करवा लेते थे।